मराठा आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से महाराष्ट्र सरकार को राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. साथ ही महाराष्ट्र सरकार को नोटिस भी जारी किया गया है. कोर्ट ने कहा कि ये आरक्षण रेस्ट्रोपेक्टिव प्रभाव से लागू नहीं होगा.
हालांकि, कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दो हफ्ते बाद सुनवाई होगी.बता दें, महाराष्ट्र में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को 16 फीसदी प्रदान किए गए. आरक्षण को बरकरार रखने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में कहा गया है कि संविधान पीठ द्वारा तय आरक्षण पर 50% कैप का उल्लंघन हुआ है. इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है.
Maratha Reservation case: Supreme Court refuses to stay Maratha reservation, However, SC said, 'we will hear the appeal for quashing of reservation for Maratha for admission in educational institution and government jobs' pic.twitter.com/215aECKFyk
— ANI (@ANI) July 12, 2019
दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने 27 जून को मराठा समुदाय के लिए नौकरी और शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण के लिए राज्य सरकार के फैसले पर मुहर लगाई थी. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर नागपुर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है. मराठा एसईबीसी को प्रवेश प्रक्रिया में आरक्षण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने अध्यादेश निकाला था, जिसे नागपुर हाई कोर्ट में डॉ. समीर देशमुख और अन्य ने चुनौती दी थी. ये याचिका नागपुर हाईकोर्ट ने तकनीकी कारणों से खारिज कर दी थी.
पिछली सुनवाई (10 जून) में सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल में मराठा छात्रों के एडमिशन में रिजर्वेशन मामले में कोई बदलाव न करने की बात कही थी. कोर्ट ने कहा था कि पिछले आदेश में किसी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं है. इसके मद्देनजर महाराष्ट्र में पीजी मेडिकल सीटों में एडमिशन के लिए आर्थिक रूप से कमजोर तबके लिए 10 प्रतिशत आरक्षण अभी लागू नहीं किया जा सकता.