scorecardresearch
 

मराठा आरक्षण बिल को महाराष्ट्र के राज्यपाल ने दी मंजूरी

बीते दिनों महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणनवीस सरकार ने मराठा आरक्षण बिल को कैबिनेट से पास करा लिया था. इसके बाद इसे विधानसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. विधान परिषद से पास होने के बाद बिल को राज्यपाल सी. विद्यासागर राव के पास भेजा गया था. 

Advertisement
X
सी विद्यासागर राव [फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव]
सी विद्यासागर राव [फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव]

Advertisement

महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने शुक्रवार को मराठा आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी. राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद अब यह कानून बन गया है. अब मराठाओं को नौकरी और शिक्षा में 16 फीसदी आरक्षण मिलेगा.

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण बिल को कैबिनेट ने पहले ही मंजूरी दे दी थी. इसके बाद  गुरुवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में बिल पेश किया. इसमें मराठाओं को नौकरी और शिक्षा में 16 फीसदी आरक्षण का प्रावधान था. विधानसभा में यह बिल ध्वनि मत से पारित हो गया. बाद में विधान परिषद ने भी इसे ध्वनि मत से पारित कर दिया.

इसके बाद इसे महारष्ट्र के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव के हस्ताक्षर के लिए भेजा गया. राज्यपाल ने भी इस पर साइन कर दिए इसके बाद यह कानून बन गया.  

Advertisement

मराठा आरक्षण के लिए विशेष कैटेगरी SEBC बनाई गई है. महाराष्ट्र में 76 फीसदी मराठी खेती-किसानी और मजदूरी कर जीवन यापन कर रहे हैं. वहीं सिर्फ 6 फीसदी लोग सरकारी-अर्ध सरकारी नौकरी कर रहे हैं.

बीते दिनों ही फडणवीस कैबिनेट ने मराठा आरक्षण के लिए बिल को मंजूरी दी थी. इसके साथ ही अब राज्य में मराठा आरक्षण का रास्ता साफ हो गया था. सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि हमें पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट मिली थी, जिसमें तीन सिफारिशें की गई हैं. मराठा समुदाय को सोशल एंड इकनॉमिक बैकवर्ड कैटेगरी (SEBC) के तहत अलग से आरक्षण दिया जाएगा. हमने पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है और इन पर अमल के लिए एक कैबिनेट सब कमिटी बनाई गई है.

1980 के दशक से लंबित पड़ी थी मांग

बता दें कि मराठों के आरक्षण की मांग 1980 के दशक से लंबित पड़ी थी. राज्य पिछड़ा आयोग ने 25 विभिन्न मानकों पर मराठों के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक आधार पर पिछड़ा होने की जांच की. इसमें से सभी मानकों पर मराठों की स्थिति दयनीय पाई गई. इस दौरान किए गए सर्वे में 43 हजार मराठा परिवारों की स्थिति जानी गई. इसके अलावा जन सुनवाइयों में मिले करीब 2 करोड़ ज्ञापनों का भी अध्ययन किया गया.

Advertisement

हिंसक हो गई थी आरक्षण की लड़ाई

मराठा आरक्षण को लेकर साल 2016 से महाराष्ट्रन में 58 मार्च निकाले गए. हाल ही में मराठों का उग्र विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिला था. यह मामला कोर्ट के सामने लंबित होने से सरकार ने पिछड़े आयोग को मराठा समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति जानने की जिम्मेदारी दी थी.

Advertisement
Advertisement