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'20 जनवरी से फिर करेंगे आमरण अनशन...', मराठा आरक्षण को लेकर बोले मनोज जरांगे

मनोज जरांगे ने कहा कि अगर सरकार 24 दिसंबर तक इस मुद्दे के समाधान में विफल रही, तो मराठा समुदाय मुंबई की ओर मार्च करेगा. जरांगे ने कहा कि सरकार के पास अभी भी दो दिन बचे हैं. अगर वह इस मुद्दे को सुलझाने में सक्षम नहीं है, तो हम 23 दिसंबर को अपनी अगली कार्रवाई की घोषणा करेंगे.

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मनोज जरांगे (फाइल फोटो)
मनोज जरांगे (फाइल फोटो)

मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग करने वाले कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार के पास मांग पूरी करने के लिए सिर्फ दो दिन बचे हैं. राज्य के मराठवाड़ा में रैली को संबोधित करते हुए मनोज जरांगे ने जनता से सावधानी बरतने के लिए कहा. साथ ही कहा कि मराठा समुदाय के लिए आरक्षण सुरक्षित करने का समय उपयुक्त है.

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मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन करने वाले मनोज जरांगे ने कहा कि अगर सरकार ने आरक्षण नहीं दिया तो सूपड़ा साफ कर देंगे. सरकार को चेतावनी देते हुए जरांगे ने कहा कि 20 जनवरी तक मराठा समाज को आरक्षण नहीं मिला तो वह अंतरवाली सराटी से मुंबई के लिए पैदल रवाना होंगे और मुंबई के आज़ाद मैदान में पहुंचकर भूख हड़ताल शुरू करेंगे. मनोज जरांगे का कहना है कि मुंबई जाने के बाद जब तक सरकार मराठाओं को आरक्षण नहीं देंगी, तब तक उनकी भूख हड़ताल जारी रहेगी. उन्होंने महिलाओं से भी आह्वान किया कि वह भी महाराष्ट्रभर के विधायक, सांसद और मंत्रियों के घर के बाहर आंदोलन करें. 

मनोज ने मराठा समाज के युवकों से अपील की है कि वह 20 जनवरी को मुंबई के लिए रवाना होंगे, लेकिन यह सारा आंदोलन शांति से किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मराठा समाज के विद्यार्थियों को आरक्षण नहीं होने की वजह से बड़े पैमाने पर नौकरी और शिक्षा में नुकसान हो रहा है, जिसकी वजह से राज्य में कई सारे युवा आत्महत्या कर रहे हैं और सरकार इन आत्महत्याओं को गंभीरता से नहीं ले रही है. इसलिए जब तक मराठा समाज को आरक्षण नहीं मिलता, तब तक पीछे नहीं हटेंगे.

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मनोज जरांगे ने कहा कि 80 प्रतिशत लड़ाई जीत ली गई है, हमारी लड़ाई अपने अंतिम चरण में है. जरांगे ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर इस साल में दो बार अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की थी. उन्होंने कहा कि सरकार को पहले इस मुद्दे के समाधान के लिए 40 दिन का समय दिया गया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ. बाद में सरकार को इस मुद्दे के समाधान के लिए 24 दिसंबर तक का समय दिया गया. उन्होंने कहा कि अगर सरकार 24 दिसंबर तक इस मुद्दे के समाधान में विफल रही, तो मराठा समुदाय मुंबई की ओर मार्च करेगा. जरांगे ने कहा कि सरकार के पास अभी भी दो दिन बचे हैं.

बता दें कि जो भी समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आरक्षण चाहता है, उसे सामाजिक रूप से पिछड़ा होना चाहिए. जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय ने ऐसे सभी मानदंडों को पूरा किया है, लेकिन अभी तक आरक्षण नहीं मिला है. उन्होंने आरोप लगाया कि जो लोग मानदंडों को पूरा नहीं करते उन्हें आरक्षण मिल गया है.

क्यूरेटिव अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट 24 जनवरी को करेगा विचार

वहीं, मराठा आरक्षण के मामले पर महाराष्ट्र सरकार की क्यूरेटिव अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में विचार 24 जनवरी को होगा. चार जजों की बेंच को 6 दिसंबर को चेंबर में विचार करना था. याचिका की कॉपी भी सर्कुलेट कर दी गई थी. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने अब इस मामले में 24 जनवरी को विचार करने का फैसला किया है. हालांकि जस्टिस संजय किशन कौल 25 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. मुमकिन है सीजेआई उनकी जगह किसी अन्य जज को पीठ में शामिल करें. 6 दिसंबर 2023 को याचिका पर विचार करने की नई तारीख तय की गई थी. इसका एलान अब किया गया है.

(इनपुट- संजय शर्मा)
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