महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे गुट और बीजेपी एक दूसरे के खिलाफ हैं. सूबे की सियासत में अभी तक मुस्लिम विरोधी रही ठाकरे गुट की पार्टी इस बार बीएमसी चुनाव में मुसलमानों के बीच गहरी पैठ बनाने में जुटी है. मराठी मुस्लिम सेवा संघ (MMSS) ने बीएमसी चुनाव में उद्धव ठाकरे को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान किया है. उद्धव और मराठी मुस्लिमों के बीच हुई दोस्ती को बीजेपी ने तुष्टिकरण वाली राजनीति बताया है.
मराठी मुस्लिम सेवा संघ के प्रमुख फकीर ठाकुर ने आगामी नगर पालिका चुनाव के लिए उद्धव ठाकरे के लिए बिना किसी शर्त समर्थन दिया है. फकीर ठाकुर ने कहा कि जब से हम उद्धव ठाकरे से मिले हैं, पूरे महाराष्ट्र से ना सिर्फ मुसलमान मराठियों, बल्कि गैर मराठियों के भी फोन आ रहे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि मराठी मुसलमानों के समर्थन से उद्धव को सियासी तौर पर फायदा होगा? या फिर नुकसान ना उठाना पड़ जाए, क्योंकि बीजेपी ने इसे लेकर घेरना शुरू कर दिया है.
बीजेपी के मुंबई अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा कि शिवसेना उद्धव बालासाहेब पार्टी अब मुसलमानों के वोट को बटोरना चाहती है, लेकिन उसने बड़ी चतुराई से शब्दों के साथ खिलवाड़ किया और उन्हें मराठी मुस्लिम का नाम दिया है. बीएमसी चुनाव में भ्रष्टाचार के साथ-साथ उद्धव ठाकरे की तुष्टीकरण की राजनीति के खिलाफ लोगों को जागरुक करने के लिए नवंबर में 'जागर मुंबईचा यात्रा' शुरू कर रहे हैं.
उद्धव राजनीतिक एजेंडे से पीछे हटे: बीजेपी
शेलार ने कहा कि उद्धव ठाकरे हताश हो रहे हैं, क्योंकि बीएमसी चुनावों में उनकी हार तय है. यही वजह है कि उद्धव ठाकरे तुष्टिकरण की राजनीति पर उतर आए हैं. बालासाहेब ठाकरे धर्म और जाति के नाम पर वोट बटोरने की सियासत पर कभी विश्वास नहीं करते थे, लेकिन उद्धव ठाकरे आज अपने पिता के राजनीतिक एजेंडे से पीछे हट गए हैं. उद्वव को जाति और धर्म के नाम पर वोट क्यों मांगने पड़ रहे हैं?
MMSS ने 2014 में एनडीए गठबंधन को समर्थन दिया था
बताते चलें कि बीजेपी जिस मराठी मुस्लिम सेवा संघ के उद्धव ठाकरे के समर्थन को आज तुष्टीकरण बता रही है, 2014 में इसी संगठन ने बीजेपी को अपना समर्थन दिया था. 2014 में बीजेपी और शिवसेना (तब यही नाम था) अलग-अलग चुनाव लड़ी थी. बीजेपी सत्ता में आई थी. MMSS के अध्यक्ष फकीर ठाकुर कहते हैं कि पीएम मोदी के सबका साथ और सबका विकास के मूल मंत्र को मानते हुए बीजेपी को समर्थन किया और हमारी तमाम मांग को माना गया था. वक्फ संपत्तियों से अतिक्रमण को हटाने और मौलाना आजाद वित्तीय निगम के तहत मुस्लिम छात्रों के लिए छात्रवृत्ति में भी वृद्धि की थी. बाद में देवेंद्र फडणवीस ने अनदेखी करना शुरू कर दिया.
हार्ड कोर मुस्लिम की सियासत करता है संगठन
दरअसल, मराठी मुस्लिम सेवा संघ में महाराष्ट्र के मछुआरों से लेकर शिक्षकों तक, सभी वर्गों के मुसलमानों के बीच काम करने वाले 180 संगठन शामिल हैं. ये हार्ड कोर मुस्लिम सियासत करता है, जिस तरह असदुद्दीन ओवैसी करते हैं. मराठी मुस्लिम सेवा संघ मराठी अस्मिता को हमेशा से तवज्जो देता रहा है. इस संगठन का आधार मुंबई, कोंकण, मराठवाड़ा, विदर्भ और पश्चिमी महाराष्ट्र में अच्छा खासा माना जाता है. संगठन के सियासी आधार का जिक्र उद्धव गुट की पार्टी ने अपने मुख्यपत्र सामना में भी किया है.
संगठन ने उद्धव से मुलाकात कर दिया समर्थन
मराठी मुस्लिम सेवा संघ के प्रतिनिधि मंडल ने हाल ही में पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे से मुलाकात की और उन्हें राज्य में आगामी नगरपालिका चुनावों में समर्थन का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्रियों के रूप में, हम भी आपके साथ विश्वासघात करने के तरीके से आहत हैं. इसीलिए हम आपके साथ देंगे, क्योंकि हम मराठी है. एमएमएसएस ने कहा कि मुसलमान उनमें न केवल किसी ऐसे व्यक्ति को देखते हैं जो बीजेपी से अलग हो गया और शक्तिशाली सत्ताधारी दल को अपना लिया, बल्कि एक वास्तविक व्यक्ति के रूप में भी देखा, जिसका मुसलमानों के प्रति दृष्टिकोण खुला और स्वागत करने वाला है.
उद्धव के सामने वर्चस्व बनाए रखने की चुनौती
उद्धव ठाकरे को मराठी मुस्लिम सेवा संघ ने ऐसे समय समर्थन देने का ऐलान किया है, जब महाराष्ट्र में शहरी निकाय चुनाव होने वाले हैं. उद्धव ठाकरे के लिए निकाय चुनाव के साथ-साथ बीएमसी पर अपने सियासी वर्चस्व को बचाए रखने की चुनौती खड़ी हो गई है, क्योंकि उनकी पार्टी दो धड़ों में बंट चुकी है. विधायकों का बड़ा खेमा उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर सीएम एकनाथ शिंदे के साथ चला गया है.
समर्थन के बारे में सामना में भी लिखा गया
महाराष्ट्र में होने वाले नगर पालिका और बीएमसी चुनाव उद्धव ठाकरे के लिए राजनीतिक तौर पर काफी अहम माना जा रहा है. मराठी मुस्लिम सेवा संघ के समर्थन को उद्धव गुट सियासी तौर पर काफी अहमियत दे रहा है. उद्धव की पार्टी के मुख्यपत्र सामना अखबार में एमएमएसएस के समर्थन के बारे में लिखा गया है. माना जा रहा है कि आगामी निकाय चुनाव में इसका उद्धव ठाकरे को सियासी फायदा भी मिल सकता है.
चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं मुस्लिम मतदाता
बता दें कि 2011 की जनगणना के मुताबिक, महाराष्ट्र में 11.24 करोड़ जनसंख्या है, जिसमें करीब 1.30 करोड़ मुसलमान मतदाता हैं. इस तरह से करीब 12 फीसदी मुस्लिम हैं. उत्तरी कोंकण, खानदेश, मराठवाड़ा और पश्चिमी विदर्भ में मुसलमानों की संख्या अधिक है. मुस्लिम समुदाय करीब 40 विधानसभा क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसमें मुंबई की सीटें भी शामिल हैं. 2019 में 10 मुस्लिम विधायक महाराष्ट्र में चुनकर आए हैं, जिनमें से एक मंत्री मौजूदा शिंदे-बीजेपी कैबिनेट में भी है जबकि उद्धव सरकार में चार मंत्री थे.
महाराष्ट्र की सियासत में मुस्लिम मतदाताओं की स्वाभाविक पसंद कांग्रेस और एनसीपी मानी जाती रही है. मुस्लिम बीजेपी के परंपरागत वोटर नहीं रहे हैं और उद्धव गुट की पार्टी से भी दूरी बनाए रखी थी. महाराष्ट्र के सियासी बदलाव के बाद मुसलमानों के बीच उद्धव गुट की स्वीकार्यता भी बढ़ रही है, क्योंकि अब उद्धव ठाकरे बीजेपी के खिलाफ हैं और कांग्रेस-एनसीपी के साथ खड़े हैं. मराठी मुस्लिमों ने खुलकर उद्धव ठाकरे को समर्थन करने का ऐलान कर दिया है. ऐसे में देखना है कि यह दांव उद्धव ठाकरे लिए सियासी तौर पर फायदेमंद होता है या फिर राजनीतिक नुकसान?