महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव के बाद अब विधान परिषद चुनाव में भी बीजेपी और महा विकास अघाड़ी के बीच शह-मात का खेल होगा. विधान परिषद की 10 सीटों पर 11 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं. बीजेपी से पांच कैंडिडेट हैं तो महा विकास अघाड़ी के तीनों ही सहयोगी शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की तरफ से दो-दो प्रत्याशी मैदान में हैं.
महाविकास अघाड़ी (MVA) ने छह उम्मीदवार उतारकर सियासी घमासान की बुनियाद रख दी है. ऐसे में देखना है कि राज्यसभा की तरह क्या बीजेपी एक बार फिर मात देती है या फिर महा विकास अघाड़ी इस बार बीजेपी को शिकस्त देकर हिसाब बराबर करेगी?
एमएलसी चुनाव के लिए 13 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था, जिनमें से भाजपा समर्थित एक उम्मीदवार सदाभाऊ खोत और एनसीपी के एक उम्मीदवार शिवाजीराव गर्जे ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली. इस तरह से 10 सीटों के लिए 11 प्रत्याशी मैदान में हैं. ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी में से कोई भी अपना एक उम्मीदवार वापस ले लेती तो सभी 10 उम्मीदवार निर्विरोध चुने जा सकते थे.
कांग्रेस-बीजेपी ने पैदा किए चुनाव के हालात
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने अपनी क्षमता से एक अधिक उम्मीदवार उतार कर विधान परिषद चुनाव में वोटिंग की स्थिति बना दी है, जिसके लिए 20 जून को मतदान होगा. महाविकास अघाड़ी के तीनों दलों ने दो-दो उम्मीदवार और विपक्षी दल बीजेपी ने पांच उम्मीदवार खड़े किए हैं.
बीजेपी से प्रवीण दरेकर, राम शिंदे, उमा खापरे, श्रीकांत भारतीय और प्रसाद लाड कैंडिडेट मैदान में हैं जबकि शिवसेना से सचिन अहीर और आमशा पाडवी, कांग्रेस से जगताप और चंद्रकांत हंडोरे हैं. वहीं, एनसीपी से रामराजे निंबालकर और एकनाथ खडसे हैं.
जीत के लिए कितने वोट की जरूरत?
महाराष्ट्र में एमएलसी के लिए एक उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए कम से कम 27 वोटों की जरूरत होगी. आंकड़ों के लिहाज से शिवसेना और एनसीपी मिलकर अपने दो-दो यानी कुल चार प्रत्याशी जिताने के लिए सक्षम हैं. कांग्रेस भी अपना एक उम्मीदवार आसानी से जिता लेगी, लेकिन उसे अपने दूसरे उम्मीदवार को जिताने के लिए 10 वोटों की अतरिक्त जरूरत होगी.
वहीं, विधायकों की संख्या के आधार पर बीजेपी चार एमएलसी सीट आसानी से जीत लेगी, लेकिन अपना पांचवां उम्मीदवार जिताने के लिए उसे 22 अतिरिक्त मतों की जरूरत पड़ेगी. इस तरह से 10वीं एमएलसी सीट के लिए कांग्रेस और बीजेपी के बीच सियासी संग्राम होगा.
ऐसे में बीजेपी राज्यसभा चुनाव की तरह विधान परिषद चुनाव में भी जीतने का समीकरण बैठा रही है तो कांग्रेस निर्दलीय के साथ-साथ सपा, AIMIM और बहुजन अघाड़ी के सहारे जीतने की उम्मीद लगाए है.
शिवसेना के नेतृत्व वाले महा विकास अघाड़ी के पास कुल 169 विधायकों का समर्थन है, जिसमें शिवसेना के 55, एनएसपी के 51, कांग्रेस के 44, सपा के 2, पीजीपी के 2 और AIMIM के दो विधायकों का समर्थन है. इसके अलावा 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है.
वहीं, बीजेपी के पास 106 विधायक हैं और 7 निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ आंकड़ा 113 विधायक तक पहुंच रहा है. लेकिन हाल के राज्यसभा चुनाव में वह पहली प्राथमिकता के मतों में कुल 123 विधायकों का समर्थन जुटाने में कामयाब रही. राज्यसभा चुनाव में पार्टी के विधायकों को अपने मत अपनी पार्टी के चुनाव एजेंट को दिखाकर ही डालने होते हैं जबकि विधान परिषद चुनाव में मतदान गुप्त होता है. ऐसे में क्रॉस वोटिंग की संभावना बन सकती है, जिसके चलते देखना होगा कि कौन किस पर भारी पड़ता है?