मॉडल से बलात्कार एवं छेड़छाड़ का आरोप झेल रहे महाराष्ट्र के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सुनील पारस्कर ने पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने से इनकार कर दिया है, जबकि पीड़ता इस टेस्ट के लिए तैयार है.
इस टेस्ट के लिए संबद्ध व्यक्ति या व्यक्तियों की सहमति जरूरी होती है. लिहाजा पुलिस ने पारस्कर और पीड़िता दोनों से सहमति हासिल करने के लिए लिखा था. इस परीक्षण को आमतौर पर झूठ पकड़ने वाला परीक्षण माना जाता है. पारस्कर के वकील रिजवान मर्चेन्ट ने कहा, 'मेरे मुवक्किल ने पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने से इनकार कर दिया है. हमने अपना जवाब पुलिस को लिखित में दे दिया है.'
पुलिस इस बात पर कायम है कि डीआईजी स्तर के अधिकारी और मॉडल उनके बयानों को दर्ज करने के दौरान उनसे किए गए कुछ सवालों पर ठीक से जवाब नहीं दे पा रहे हैं. यही वजह है कि जांचकर्ताओं ने दोनों का पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने की पहल की.
25 वर्षीय पीड़िता ने कहा कि वह झूठ पकड़ने वाली मशीन का सामना करने को तैयार है. उसने यह जानना चाहा है कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इसके लिए क्यों नहीं तैयार है. उसने कहा, 'मैंने पॉलीग्राफ परीक्षण करवाने पर सहमति जताने के लिए अभी कागजातों पर हस्ताक्षर किए हैं.'