आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दोबारा यह जाहिर करने की कोशिश की है कि आरक्षण पर उनका पुराना रुख बदल चुका है. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार को आरक्षण नीति पर पुनर्विचार करने की सलाह देने वाले भागवत ने अब फिर कहा है कि यह जारी रहना चाहिए. भागवत का यह रुख पुणे में छात्रों से बातचीत के दौरान सामने आया.
यह कहा भागवत ने
भागवत महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में छात्रों से बात कर रहे थे. इसी दौरान एक छात्र के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ‘सामाजिक भेदभाव’ जारी रहने तक आरक्षण जारी रहना चाहिए, लेकिन इसका ईमानदारी से क्रियान्वयन होना चाहिए. एमआईटी ने छात्र संसद का आयोजन किया था. आरएसएस प्रमुख की छात्रों के साथ संभवत: इस तरह की यह पहली बातचीत थी.
हालांकि भागवत इससे पहले भी यू टर्न ले चुके हैं और तब भी उन्होंने ठीक यही बात कही थी. बिहार में हार के बाद नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि जब तक सामाजिक भेदभाव है, तब तक आरक्षण की व्यवस्था चलेगी.
पहले यह कहा था
भागवत ने आरक्षण पर राजनीति और उसके दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए सुझाव दिया था कि एक समिति बनाई जानी चाहिए, जो यह तय करे कि कितने लोगों को, कितने दिनों तक आरक्षण की आवश्यकता होनी चाहिए. ऐसी समिति में राजनेताओं से ज्यादा ‘सेवाभावियों’ का महत्व होना चाहिए. भागवत ने ऑर्गेनाइजर को दिए इंटरव्यू में कही थी. इस पर बाद में जमकर राजनीति भी हुई थी.
और मंदिर मुद्दे पर दिया यह जवाब
जब एक छात्र ने भागवत से देश में धर्म और राजनीति को मिलाने के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, 'जो ऐसा करते हैं, उनसे पूछिए. यह सवाल मेरे लिए नहीं है.' इसके बाद राम मंदिर के मुद्दे पर एक छात्र ने पूछा, 'क्या राम मंदिर बनाने से गरीबों की थाली में रोटियां आ जाएंगी?' भागवत ने जवाब में कहा, 'क्या मंदिर का निर्माण ना होने से रोटियां आ गईं?'