मुंबई की सेशन कोर्ट ने मंगलवार को एक भाजपा पार्षद की अग्रिम जमानत यह कहते हुए रद्द कर दी कि गाली देने वाले और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने वाले पार्षद को जमानत देने से कानून का पालन करने वाले लोगों में गलत संदेश जाएगा. सेशन कोर्ट जज एमजी देशपांडे ने कहा, राजनीतिक नेताओं द्वारा इस तरह दबाव वाली राजनीति से निगम के साथ साथ सरकारी मशीनरी भी पंगु बन जाएगी.
वार्ड नंबर 146 से पार्षद हरीश कृष्ण भांडिरगे पर जल विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर को गाली देने और धमकी देने का आरोप है. अफसर नितिन सुधाकर कुलकर्णी के मुताबिक, उन्होंने सब इंजीनियर और उनकी टीम को घाटकोपर वेस्ट में शर्मा स्कूल का दौरा करने और यहां पानी खोलने के लिए कहा था, ताकि स्थानीय निवासियों को पानी मिल सके.
'धमकी की वजह से नहीं कर पाया काम'
नितिन के मुताबिक, पार्षद हरीश कृष्ण को लगा कि पानी की आपूर्ति नहीं की गई. ऐसे में उन्होंने कुलकर्णी को फोन लगाकर गंदी भाषा में बात की और उन्हें गाली दी. इतना ही नहीं आरोप है कि पार्षद ने कुलकर्णी ने उस जगह आकर उन्हें देख लेने की धमकी भी दी. नितिन के मुताबिक, वह धमकी के बाद चौंक गया और डिप्रेशन में चला गया. वह उस दिन काम नहीं कर पाया. इसके बाद उसने पार्षद के खिलाफ मामला दर्ज कराया.
जांच में सहयोग नहीं करेंगे पार्षद
वहीं, पीड़ित पक्ष ने पार्षद की अग्रिम जमानत का विरोध किया. पीड़ित पक्ष की ओर से कोर्ट में कहा गया कि आरोपी पार्षद है और भाजपा से है. बिना तथ्य जाने, उन्होंने एक पब्लिक सर्वेंट के साथ गाली गलौज की और उसे काम करने से रोका. ऐसे में आरोपी के खिलाफ पूरी जांच होनी चाहिए. अगर आरोपी को अग्रिम जमानत दी जाती है, तो वह जांच में सहयोग नहीं करेगा.
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनकर जज देशपांडे ने कहा, एक पब्लिक सर्वेंट को ड्यूटी करने से रोकना और धमकी देना खासकर पार्षद द्वारा, जो खुद एक जिम्मेदार व्यक्ति है. ऐसे में अगर ड्यूटी पर तैनात सरकारी कर्मचारी को फोन पर धमकियां दी गई हैं, तो इससे व्यवस्था चरमरा जाएगी और आजकल इसका चलन बढ़ता जा रहा है. कोर्ट ने पार्षद की अग्रिम जमानत को रद्द कर दिया.