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मुंबई लोकल में नाबालिग मराठी एक्ट्रेस का यौन शोषण, दोषी को 3 साल की सजा

दादर रेलवे स्टेशन पर रात करीब 8.30 बजे जनरल डिब्बे में जब लड़की ने ट्रेन बदली तो उसके पीछे खड़े आरोपी ने पहले तो उसके कंधे पर हाथ रखा. इसपर जब वह गुस्से से उसकी तरफ देखने लगी तो उसने उसका यौन शोषण किया.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

मुंबई की एक विशेष अदालत ने भीड़ भरी लोकल ट्रेन में एक नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न करने वाले मुंबई ट्रेन यात्री को तीन साल की जेल की सजा सुनाई है. 16 वर्षीय पीड़िता, एक मराठी धारावाहिक अभिनेत्री है. उसने अदालत को बताया था कि 2019 में  जब शूटिंग के बाद वह अपने दोस्त के साथ गोरेगांव से ठाणे के लिए ट्रेन से यात्रा कर रही थी तब आरोपी ने उसके साथ यौन शोषण किया था.

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लड़की 12वीं क्लास में पढ़ती थी और मराठी सीरियल्स में भी काम करती थी. इसलिए, वह अपनी शूटिंग के लिए गोरेगांव जाती थीं और फिर बाद में शाम को लोकल ट्रेन से घर वापस आती थीं. आरोप है कि दादर रेलवे स्टेशन पर रात करीब 8.30 बजे जनरल डिब्बे में जब लड़की ने ट्रेन बदली तो उसके पीछे खड़े आरोपी ने पहले तो उसके कंधे पर हाथ रखा. इसपर जब वह गुस्से से उसकी तरफ देखने लगी तो उसने उसका यौन शोषण किया.

आरोप है कि इसके बाद लड़की चिल्लाई और उस आदमी को थप्पड़ मार दिया. इसके बाद लड़की और उसका दोस्त मुलुंड में ही उतर गए. उन्होंने आरोपी को रेलवे पुलिस को सौंप दिया. पुलिस उन सभी को वापस दादर स्टेशन ले आई और एफआईआर दर्ज की गई. 32 वर्षीय ठाणे निवासी ओम्हारी सिंह ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस बात को लेकर विवाद  हुआ था कि वह जनरल डिब्बे में क्यों चढ़ी जबकि महिलाओं के लिए अलग डिब्बे हैं.

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हालांकि विशेष न्यायाधीश पीपी बांकर ने तर्क दिया, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि ट्रेन में महिलाओं के लिए अलग कोच हैं, लेकिन निश्चित रूप से सामान्य कोच में महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित नहीं है और वे किसी अन्य यात्री की तरह सामान्य कोच में यात्रा कर सकती हैं. इसके अलावा,  प्रासंगिक समय में, पीड़िता अपने पुरुष मित्र के साथ यात्रा कर रही थी. यदि उन दोनों को एक साथ यात्रा करनी है, तो पीड़िता को अपने पुरुष मित्र के साथ सामान्य कोच में यात्रा करनी होगी."

वहीं आरोपी कहा कि चूंकि ट्रेन में भीड़ थी और अपराध करने वाला व्यक्ति पीड़िता के पीछे खड़ा था, इसलिए उसके लिए आरोपी को देखने का कोई मौका नहीं था. इसलिए आरोपी की पहचान गलत है. यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) के तहत मामलों की सुनवाई के लिए नामित जज ने कहा, "लड़की ने मुड़कर देखा था और उसको पहचाना. इसके अलावा, आगे की घटना बहुत महत्वपूर्ण है. पीड़िता ने अपने दोस्त के साथ आरोपी को ट्रेन में ही पुलिस को सौंपने के लिए पकड़ लिया था."  

सजा के बिंदु पर आरोपी ने कहा कि उसकी पत्नी और दो बच्चे हैं, वह मजदूरी का काम करता है और उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. हालांकि, जज ने कहा, "घटना बहुत भीड़भाड़ वाले इलाके में हुई है. घटना का पीड़ित लड़की पर, उसके परिवार के सदस्यों और समाज पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. इस तरह की घटना लोगों के मन में चिंता पैदा करती है और दिखाती है कि लड़कियां समाज में सुरक्षित नहीं हैं, भले ही वे बहुत से लोगों से घिरी हुई हों". कोर्ट ने आरोपी को तीन साल की सजा सुनाई है.

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