महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई (Mumbai) में एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने एक महिला प्रोफेसर पर एक हजार रूपए का जुर्माना लगाया है. प्रोफेसर पर आरोप है कि उन्होंने छेड़छाड़ करने वाले व्यक्ति पर हमला किया था. 15 सितंबर, 2015 को हुए इस मामले के लिए छेड़छाड़ करने वाले पड़ोसी को भी दोषी ठहराया गया और एक साल की जेल की सजा सुनाई गई.
मजिस्ट्रेट वीजे कोरे ने प्रोफेसर को दोषी पाते हुए कहा कि संविधान किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं देता. अगर छेड़छाड़ की गई है तो पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करने का उपाय है. किसी को भी कानून को अपने हाथ में लेने की छूट नहीं है.
महिला की तरफ से क्या दलील दी गई?
महिला प्रोफेसर की तरफ से पेश हुए वकील प्रशांत पवार ने दलील दी कि महिला ने उस व्यक्ति पर हमला किया क्योंकि आरोपी ने उसके साथ छेड़छाड़ की थी. महिला ने जो भी किया, वो प्राइवेट डिफेंस की कैटेगरी में आता है. हालांकि कोर्ट ने इसे यह कहकर खारिज कर दिया कि निजी बचाव की दलील एक भावनात्मक अपील थी.
कोर्ट ने माना कि प्रोफेसर द्वारा उस व्यक्ति पर हमला करना आवेश में आकर किया गया था और इस तरह अदालत ने सजा देने में उदारता दिखाई और महिला को सिर्फ 1000 रुपये का जुर्माना भरने के लिए कहा गया.
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व्यक्ति पर क्या आरोप लगे हैं?
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, 61 वर्षीय छेड़छाड़ करने वाला व्यक्ति अपने घर के बाहर खुले रास्ते की सफाई कर रहा था और उसने महिला के ऊपर धूल फेंक दी. इसके बाद जब महिला ने उसकी हरकत पर आपत्ति जताई, तो उसने कथित तौर पर अपशब्दों का इस्तेमाल किया और उसे गले लगाया और गलत तरीके से छुआ.
जवाबी कार्रवाई में महिला ने उस आदमी को अपने छाते से मारा, जिससे उसका चश्मा टूट गया और चेहरे पर चोट आई. 34 साल की महिला प्रोफेसर की मां ने पुलिस को बुलाने की कोशिश की लेकिन जब कोई नहीं आया तो वो केस दर्ज कराने के लिए काला चौकी पुलिस स्टेशन गईं. आरोपी व्यक्ति ने भी उसी दिन केस दर्ज कराया. बता दें कि दोनों मामले एक ही घटना से संबंधित थे, इसलिए कोर्ट ने दोनों मामले की सुनवाई एक साथ की.
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कोर्ट ने क्या कहा?
आरोपी व्यक्ति को दोषी ठहराते हुए, मजिस्ट्रेट ने कहा कि किसी भी पुरुष को महिला की सहमति के बिना उसके नाखून को भी छूने की इजाजत नहीं है. हर महिला के पास छठी इंद्रियां होती है और वह जानती हैं कि जब कोई पुरुष उनके शरीर के अंग को छूता है, तो उसके पीछे क्या इरादा है. इसका खयाल रखना चाहिए कि कोई भी महिला बिना किसी तथ्य के ऐसे आरोपों के साथ आगे नहीं आएगी.
नरमी दिखाने और प्रोबेशन का लाभ देने से इनकार करते हुए कोर्ट ने आरोपी व्यक्ति को एक साल जेल की सजा सुनाई और कहा, 'आजकल महिलाओं के खिलाफ अपराध दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं. महिलाएं घर के अंदर के साथ-साथ घर के बाहर भी सुरक्षित नहीं हैं. इसलिए एक आरोपी को सजा दूसरों के लिए एक सबक है, जो इसी तरह के अपराध करने जा रहे हैं.' अदालत ने आगे कहा कि उक्त अपराध महिलाओं की लज्जा के संबंध में है, इसलिए अपराधी को परिवीक्षा अधिनियम का लाभ नहीं दिया जा सकता.