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महाराष्ट्र CM फडणवीस ने बताया, क्यों छोड़ दिया था इंदिरा कॉन्वेंट स्कूल?

कांग्रेस की राजनीति और गांधी परिवार पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि कांग्रेस से हमारे वैचारिक मतभेद हैं लेकिन कांग्रेस के नेता हमारे दुश्मन नहीं हैं.

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महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस

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आज के खास कार्यक्रम मुंबई मंथन के आठवें सत्र 'चार साल कितना कमाल' में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिरकत की. इस कार्यक्रम में फडणवीस से महाराष्ट्र की सियासत से लेकर देश के तमाम सुलगते मुद्दों पर सवाल किए गए. बचपन में इंदिरा कॉन्वेंट स्कूल छोड़ने के सवाल पर देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि यह सच है कि बचपन में मैंने इंदिरा कॉन्वेंट स्कूल में जाने के इनकार कर दिया था लेकिन मेरे मन में गांधी परिवार के लिए कोई नफरत नहीं है.

कांग्रेस की राजनीति और गांधी परिवार पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस से हमारे वैचारिक मतभेद हैं लेकिन कांग्रेस के नेता हमारे दुश्मन नहीं हैं. फडणवीस ने कहा कि कांग्रेस भी एक राजनीतिक पार्टी है और हम कोई भारत-पाकिस्तान नहीं है. उनकी पार्टी के नेताओं की विचारधारा हमारे नेताओं से अलग है.

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इंदिरा कॉन्वेंट स्कूल न जाने के पीछे की वजह बताते हुए फडणवीस ने कहा कि तब मैं पहली क्लास में पढ़ता था और आपातकाल के दौरान इंदिरा जी ने मेरे पिताजी को 2 साल जेल में रखा. उन्होंने कहा कि 5 साल का बच्चा होने के नाते मुझे तो यही पता था कि मेरे पितो को जेल में डालने वाली इंदिरा जी हैं. इसीलिए मैंने घर आकर मां से कहा जिस इंदिराजी ने मेरे पिताजी को जेल में डाला उस स्कूल में नहीं जाऊंगा.

फडणवीस ने कहा कि इसके बाद मेरा स्कूल बदला गया है और मैं आगे की पढ़ाई के लिए सरस्वती विद्यालय चला गया. उन्होंने कहा कि मैंने जब से मैदान में जाना सीखा तब से राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) में जाता हूं उसका सरस्वती विद्यालय से कोई नाता नहीं है.

राम मंदिर पर क्या बोले

वहीं राम मंदिर के मुद्दे पर फडणवीस ने कहा कि राम मंदिर का मुद्दे को लोगों को समझने की जरूरत है. राम मंदिर का निर्माण 6 दिसंबर 1992 को हो चुका है. हालांकि फडणवीस ने कहा कि बाबरी मस्जिद को ढहाने का काम किसी पार्टी का नहीं है बल्कि कारसेवकों द्वारा किया गया. फडणवीस ने कहा कि राज्य में कांग्रेस और एनसीपी का अस्तित्व नहीं है लिहाजा उनसे बीजेपी को किसी तरह की चुनौती का सवाल खड़ा नहीं होता.

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