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बुजुर्ग दंपति की राष्ट्रपति को चिट्ठी- संपत्ति ले लो, मरने की इजाजत दे दो

लवाटे दंपति मुंबई के ठाकुरद्वारा में रहता है. उनका कहना है कि उनके बच्चे नहीं हैं, ना ही रिश्तेदार मिलने आते हैं. उन्होंने कहा कि वे अपने शरीर के अधिकतर हिस्सों को दान में दे चुके हैं, ऐसे में वे खुशी-खुशी साथ में ही मरना चाहते हैं.

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मुंबई निवासी लवाटे दंपति
मुंबई निवासी लवाटे दंपति

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मुंबई के एक बुजुर्ग दंपति ने राष्ट्रपति को खत लिख इच्छा मृत्यु की मांग की है. 87 वर्षीय नारायण लवाटे और उनकी 78 वर्षीय पत्नी इरावती ने राष्ट्रपति से गुहार लगाई है कि वे 50 साल से साथ में हैं और खुशी-खुशी साथ में ही मरना चाहते हैं.

लवाटे दंपति मुंबई के ठाकुरद्वारा में रहता है. उनका कहना है कि उनके बच्चे नहीं हैं, ना ही रिश्तेदार मिलने आते हैं. उन्होंने कहा कि वे अपने शरीर के अधिकतर हिस्सों को दान में दे चुके हैं, ऐसे में वे खुशी-खुशी साथ में ही मरना चाहते हैं.

87 वर्षीय नारायण एसटी के लिए काम किया करते थे, वहीं उनकी पत्नी स्कूल टीचर थीं. इस उम्र के पड़ाव पर भी दोनों अपना गुजारा स्वयं ही करते थे. हालांकि, उनके पड़ोसियों ने उनके इस फैसलों पर काफी दुख जताया है. पड़ोसियों की मानें, तो उनका ये फैसला सही नहीं है.

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फिलहाल लवाटे दंपति का कहना है कि उन्हें राष्ट्रपति की ओर से कोई जवाब नहीं आया है और वो बस इसी इंतज़ार में है की उन्हें जल्द से जल्द मौत मिले. मरने के बाद वो अपना घर सरकार को दे देंगे.

आत्महत्या के बराबर है इच्छामृत्यु!

आपको बता दें कि भारत में इच्छा-मृत्यु और दया मृत्यु दोनों ही अवैधानिक कृत्य हैं क्योंकि मृत्यु का प्रयास, जो इच्छा के कार्यावयन के बाद ही होगा, वह भारतीय दंड विधान (आईपीसी) की धारा 309 के अंतर्गत आत्महत्या (suicide) का अपराध है.

आपको बता दें कि इच्छा-मृत्यु का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. नर्स अरुणा शानबाग की 2015 में मृत्यु के बाद ये मामला एक बार फिर चर्चा में आया था. अरुणा शानबाग रेप की घटना के बाद से ही करीब 42 साल तक अस्पताल में भर्ती थीं, उन्होंने कई बार इच्छा मृत्यु की मांग की थी.

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