मुंबई क्राइम ब्रांच को एक बड़ी कामयाबी मिली है. उन्होंने सीडीआर (कॉल डिटेल रिकॉर्ड) बेचने वाले रैकेट का पर्दाफाश किया है. यह रैकेट कुछ प्राइवेट डिटेक्टिव्स और एजेंट द्वारा चलाया जा रहा था. क्राइम ब्रांच ने इससे जुड़े दो लोगों को गिरफ्तार किया है. किसी व्यक्ति का सीडीआर पूरी तरह से गोपनीय मामला होता है. मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर द्वारा इसे सिर्फ जांच एजेंसी ही प्राप्त कर सकती है. इसके लिए उचित एसओपी का पालन करना होता है.
मुंबई क्राइम ब्रांच के यूनिट 5 ने अधिकारियों को मिले इनपुट्स के आधार पर कार्रवाई की और सीडीआर बेचने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया है. यूनिट 5 के अधिकारियों ने कुछ लोगों को ग्राहक बनाकर भेजा था. उन्होंने किसी शख्स का सीडीआर मांगा था. जैसे ही उन दोनों शख्स ने नकली ग्राहक को सीडीआर दिया, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
पूछताछ के दौरान उन्होंने बताया कि वो एक बड़े रैकेट से जुड़े हैं. उनके रैकेट में प्राइवेट डिटेक्टिव और एजेंट्स काम करते हैं. जो किसी मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर से मिलकर या फिर जांच एजेंसी के फर्जी दस्तावेज दिखाकर सीडीआर लेते हैं. इसके बाद ग्राहकों को भारी कीमत पर सीडीआर बेची जाती है.
इससे पहले 2018 में भी ठाणे पुलिस ने इसी तरह के एक रैकेट का खुलासा किया था. जहां पर कई ऐसे आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था जो उभरते हुए डिटेक्टिव थे और प्राइवेट एजेंसियों से जुड़े हुए थे. इसमें कुछ बॉलीवुड से जुड़े लोगों के भी नाम सामने आए थे, जिन्होंने निजी कारणों से इन एंजेंट्स के द्वारा सीडीईआर निकलवाए थे. इस घटना के कुछ आरोपी गिरफ्तार भी किए गए थे. जांच के दौरान यूनिट 5 की नजर उन लोगों पर भी रहेगी.
पुलिस को मालूम चला है कि इन डिटेक्टिव और एजेंट्स के नेटवर्क बेंगलुरु, दिल्ली, गुरुग्राम, मैंगलोर और मुंबई से जुड़े हैं.