मुंबई पुलिस ने शुक्रवार को हिंदुत्ववादी नेता एवं श्री शिव प्रतिष्ठान के प्रमुख संभाजी वी. भिडे को व्याख्यान की अनुमति देने से मना कर दिया. दो दिन पहले पुलिस ने गुजरात के दलित विधायक जिग्नेश मेवानी और जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद के कार्यक्रम को अनुमति नहीं दी थी.
स्थगित किया गया व्याख्यान कार्यक्रम
भिडे का कार्यक्रम पहली जनवरी को कोरेगांव-भीमा दंगा और तीन जनवरी के महाराष्ट्र बंद के मद्देनदर रविवार को लालबाग में व्याख्यान देने का था. प्रतिष्ठान के प्रवक्ता बलवंत दल्वी ने कहा, 'हाल के दिनों के घटनाक्रम और इनमें जिस तरह भिडे गुरुजी का नाम जोड़ा गया, उसके संदर्भ में हमने किसी और अशांति से बचने के लिए व्याख्यान को स्थगित करने का फैसला किया है.'
भिडे पर हिंसा भड़काने का आरोप
इससे पहले शुक्रवार को भिडे ने हिंसा में उनका हाथ होने के आरोपों को खारिज करते हुए इन्हें आधारहीन बताया. उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से मामले की विस्तृत जांच कराने की मांग की थी. उन्होंने अपनी खामोशी भारिपा बहुजन महासंघ के नेता प्रकाश अंबेडकर द्वारा उन पर लगाए इस आरोप के बाद तोड़ी, जिसमें कहा गया था कि कोरेगांव-भीमा की हिंसा को उन्होंने (भिडे ने) भड़काई थी.
दोषी पाए जाने पर सजा भुगतने को तैयार: भिडे
भिडे ने कहा, 'मेरे खिलाफ प्रकाश अंबेडकर के आरोप पूरी तरह से निराधार हैं. मेरा सरकार से अनुरोध है कि वह मामले की गहन जांच कराए और दोषियों को सजा दे. अगर मैं दोषी पाया जाता हूं तो मैं नतीजा भुगतने के लिए तैयार हूं.'
भिडे ने खारिज किए सभी आरोप
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सदस्य व विवादास्पद दक्षिणपंथी नेता भिडे (87) ने अंबेडकर के उस आरोप को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भिडे कोरेगांव-भीमा के पास मौजूद थे. उन्होंने जातीय दंगों के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराए जाने को 'फर्जी' करार दिया और कहा कि उनका नाम मामले में जान बूझकर घसीटा जा रहा है.
कोरेगांव-भीमा की हिंसा में एक युवक की मौत
1 जनवरी को कोरेगांव-भीमा की हिंसा में एक युवक की मौत हुई थी. 2 जनवरी को पुलिस ने भिडे और हिंदू एकता समिति के मिलिंद एकबोते के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट और भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज किया. इस पर भिडे ने कहा कि एससी-एसटी कानून का कई मामलों में दुरुपयोग हुआ है. प्रकाश अंबेडकर लगातार भिडे और मिलिंद की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं.