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मुंबई: रेयान केस के बाद बच्चों के यौन शोषण के खि‍लाफ 'पुलिस-दीदी' पहल दोबारा शुरू

इस कार्यक्रम में कांस्टेबल और एएसआई स्तर की पुलिसकर्मी शामिल हैं. बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताती हैं. गुरुग्राम की घटना के बाद जब साकीनाका के उर्दू मीडियम स्कूल मिफ्तुल उलूम में ये पुलिस दीदी पहुंची तो ना सिर्फ बच्चे उनके माता-पिता भी इन्हें सुनने आए थे.

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पुलिस दीदी
पुलिस दीदी

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रेयान मर्डर केस से न सिर्फ हरियाणा या दिल्ली के पैरंट्स ही नहीं पूरे देश के अभिभावक अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर परेशान हैं. ऐसे में मुंबई पुलिस ने इस तरफ एक पहल की है. मुंबई पुलिस काफी पहले से एक अभियान चलाती है जिसका नाम है पुलिस दीदी. इस अभियान के तहत महिला पुलिसकर्मी स्कूलों और घरों में जाकर बच्चों को शारीरिक शोषण के खिलाफ सजग करती हैं.

इस कार्यक्रम में कांस्टेबल और एएसआई स्तर की पुलिसकर्मी शामिल हैं. बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताती हैं. गुरुग्राम की घटना के बाद जब साकीनाका के उर्दू मीडियम स्कूल मिफ्तुल उलूम में ये पुलिस दीदी पहुंची तो ना सिर्फ बच्चे उनके माता-पिता भी इन्हें सुनने आए थे. गुरूग्राम में स्कूल शौचायल में एक मासूम के कत्ल से मुंबई में भी मां-बाप अंदर तक हिल गए हैं और पुलिस दीदी जैसे अभियान की काफी जरूरत महसूस की जाने लगी है.

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वहीं रेयान मर्डर केस मामले से सीख लेते हुए मुंबई पुलिस ने कदम उठाने का फैसला किया है. मुंबई पुलिस 'पुलिस-दीदी' नाम की अपनी पहल को दोबारा लॉन्च किया है.

पुलिस कांस्टेबल कविता स्वप्निल लाड के मुताबिक हम स्कूलों में बच्चों को आमिर खान के एक प्रोग्राम की क्लिप भी दिखाते हैं जहां उन्होंने गुड टच और बेड टच के बारे में बताया है. हमें बच्चों को विश्वास दिलाना होता है कि उनके साथ कोई गलत हरकत करेगा तो हम उनकी मदद के लिए आएंगे. कुछ अभिभावक भी अपने बच्चों से इस तरह के विषय पर बात करने से संकोच करते हैं, पुलिस दीदी अभियान उनके लिए भी मददगार है.

साकीनाका निवासी फरजान भाई कहते हैं कि ये कार्यक्रम हमारे बच्चों के लिए बहुत अच्छा है औऱ हमारे लिए भी. जिस तरह से पुलिस दीदी बच्चों से बात करती है उससे समझ आता है कि ये कोई शर्म का विषय नहीं है. हम बच्चों से जुड़े एक बेहद संवेदनशील मुद्दे पर बात कर रहे हैं. जिस पर अगर वो मुखर नहीं हुए तो ये उनकी जिंदगी पर बेहद असर डाल सकता है.

मिफ्तुल उलूम स्कुल के शिक्षक सैयद जुबैर अख्तर के मुताबिक हम भी अपने बच्चों को ये जानकारी देते हैं पर हम उन्हें पढ़ाते भी हैं और भी बहुत सारे विषयों पर उनसे बात करते हैं. इसलिए जब पुलिस दीदी स्कूल में आकर खुद उन्हें ये बताती हैं तो उसका अलग असर होता है. बच्चों को डायरेक्ट उनसे कनेक्शन फील होता है और वो खुद को मजबूत महसूस करते हैं. इसके साथ ही पुलिस अभिभावकों, पेरेट्ंस-टीचर असोसिएशन और स्कूल प्रशासन से फीडबैक इकट्ठा करेगी.

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आपको बता दें कि पिछले साल मुंबई के अंधेरी में एक इंटरनेशनल स्कूल के ट्रस्टी और टीचर ने कथित तौर पर एक 3 साल की बच्ची का रेप किया था. उस हादसे के बाद स्कूली बच्चों को यौन शोषण के प्रति जागरुक करने के लिए मुंबई पुलिस ने 'पुलिस-दीदी' पहल शुरू की थी.

मुंबई पुलिस के अभियान में नामी स्कूलों से लेकर स्लम बस्तियों में चलने वाले स्कूल शामिल हैं. साकीनाका के सीनियर पीआई अविनाश धर्माधिकारी के मुताबिक बच्चों से यौन शोषण की घटनाएं स्लम इलाकों में ज्यादा होती हैं पर हाई सोसाइटी भी इनसे बची नही है. इसलिए पुलिस दीदी मुंबई के नामी गिरामी स्कूलों में भी बच्चों से मिलती हैं.

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