देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. मुंबई में आज यानी 24 अक्टूबर को एयर क्वालिटी का आंकड़ा 163 AQI तक पहुंच गया है. इसका असर लोगों की स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है. काफी ज्यादा संख्या में लोगों के बीच से खांसी और वायरल इंफेक्शन की शिकायतें आ रही हैं.
मुंबई के प्रदूषण में क्यों हो रहा इजाफा
मुंबई में प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह ट्रैफिक है. पर्यावरणविदो के मुताबिक महानगर में हो रहा कंट्रक्शन भी प्रदूषण स्तर को बढ़ा रहा है . दरअसल यहां लगातार हो रहे निर्माण कार्य के चलते धूल-मिट्टी अधिक होती है. कंस्ट्रक्शन साइट पर पानी का इस्तेमाल ज्यादा नहीं होने के चलते धूल-मिट्टी पर्यावरण में घूल जाती है. इससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है.
बीएमसी ने जारी किए ये निर्देश
मुंबई में बिगड़ती हवा को लेकर नगर निगम भी बेहद गंभीर है. नगर निगम मुंबई में अलग-अलग जगहों पर एंटी स्मॉग गन और वॉटर स्प्रिंकर्ल से धूल -मिट्टी कम करने की कोशिश कर रहा है. इसको लेकर बीएमसी द्वारा गाइडलाइन भी जारी की गई है. बीएमसी के मुताबिक भी कंस्ट्रक्शन साइट पर 35 फीट ऊंचे लोहे की चादर के घेरे अनिवार्य किए गए हैं. एक एकड़ से कम क्षेत्रफल वाले निर्माण स्थल के लिए लोहे की चादर का घेरा 25 फीट ऊंचा होगा. निर्माणाधीन भवन को हरे कपड़े/जूट की चादर/तिरपाल से घेरा जाएगा. बीएमसी 50 से 60 प्रमुख सड़कों पर एंटी-स्मॉग गन चलाएगी. रिफाइनरियों, पावर प्लांट और आरसीएफ के कारण होने वाले प्रदूषण की जांच इस क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा की जाएगी.
वाहनों को लेकर बीएमसी ने लिया ये फैसला
निर्माण मलबे का परिवहन करने वाले सभी परिवहन वाहनों को तिरपाल शीट से ठीक से ढंका जाना चाहिए. ऐसे किसी भी वाहन को निर्धारितसे अधिक वजन ले जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. निर्माण स्थलों को छोड़ने और सड़क पर चलने से पहले ऐसे सभी वाहनों के टायरों को धूल हटाने के लिए अनिवार्य रूप से साफ किया जाएगा. उन पर पानी छिड़का जाएगा. इन सभी वाहनों को दिन भर के काम के बाद साफ/धोया जाना चाहिए. सभी निर्माण स्थलों पर सीसीटीवी नेटवर्क होना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सकेगा.
सड़क पर मलबा डालने वाले वाहनों पर होगी कार्रवाई
मुंबई में सड़कों और फुटपाथों पर मलबा डालने वाले परिवहन वाहनों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा और उनका पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा. परिवहन वाहनों पर नजर रखने के लिए विशेष दस्तों को काम पर लगाया जाएगा. एमपीसीबी और बीएमसी रिफाइनरियों, टाटा पावर प्लांट और आरसीएफ के कारण होने वाले प्रदूषण के स्तर को सत्यापित करने और देखरेक के लिए विशेषज्ञ नियुक्त किए जाएंगे.