करीब 8 साल पहले अपने माता-पिता से बिछड़े मुस्लिम लड़के को नागपुर के एक हिंदू परिवार ने पाला और आखिरकार आधार कार्ड (Aadhaar Card) की मदद से वो अपने असली मां-बाप से मिल सका. नागपुर का दामले परिवार सालों से लड़के को उसके असली मां-बाप तक पहुंचाने की कोशिश में लगा हुआ था और अब कानूनी कार्रवाई कर उसे असली माता-पिता को सौंप दिया गया है.
2012 में नागपुर रेलवे स्टेशन पर एक लड़का लापता हालत में मिला था. लड़का बेसहारा था और उसकी दिमागी हालत भी ठीक नहीं थी. उस वक्त उसकी उम्र 8 साल थी. लड़के को बाल सुधार सुविधा गृह में रखा गया. लेकिन बाद में इसे नागपुर के रहने वाले समर्थ दामले के परिवार ने अपने घर में सहारा दिया.
दरअसल मोहम्मद आमिर बचपन से हमेशा कहीं न कहीं गुम हो जाता था. दिमागी हालत खराब होने से और भूलने की बीमारी से वो किसी दिन जबलपुर से नागपुर पहुंच गया था.
आधार कार्ड से ऐसे मिला मां-बाप से
अब लड़का बड़ा हो गया और उसे 10वीं बोर्ड की परीक्षा देनी थी. इसके लिए उसे आधार कार्ड की जरूरत थी, जो उसके पास था नहीं. दामले परिवार ने पहले बुत कोशिश की, लेकिन उसका आधार कार्ड नहीं बन सका.
इसी बीच नागपुर के एक आधार सेंटर के किसी अधिकारी ने बताया कि इस लड़के का आधार कार्ड पहले से ही बना हुआ है और वो जबलपुर का रहने वाला है. उसके पिता का नाम अयूब खान और बेटे का नाम आमिर खान है.
अयूब खान ने अपने बेटे के वापस आने की आस छोड़ ही दी थी, लेकिन तभी उनसे संपर्क किया गया और उन्हें उनके बेटे के बारे में बताया गया.
बाद में सारी कागजी कानूनी प्रक्रिया कर लड़के को जबलपुर के हनुमानतला पुलिस की मदद से नागपुर के दामले परिवार ने माता-पिता को सौंप दिया.