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महाराष्ट्र: अधिकारी ने घोड़े से ऑफिस आने की मांगी इजाजत, रीढ़ में है दिक्कत

एक सरकारी अफसर ने अपने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर घोड़े से ऑफिस आने की इजाजत मांगी. अफसर का कहना था कि वह दोपहिया वाहन का इस्तेमाल नहीं कर सकता क्योंकि उसे रीढ़ की समस्या है. हालांकि डॉक्टरों ने इसके लिए घोड़े के इस्तेमाल को सही नहीं बताया.

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सांकेतिक तस्वीर (GettyImages)
सांकेतिक तस्वीर (GettyImages)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • नांदेड़ में एक सरकारी अधिकारी ने कलेक्टर को दी अर्जी
  • तूल पकड़ने के बाद अधिकारी ने अर्जी वापस ली
  • डॉक्टरों ने सलाह दी, घोड़े पर जाने से रीढ़ को और नुकसान होगा

महाराष्ट्र के नांदेड़ के जिलाधिकारी को एक सरकारी अधिकारी से अजब अर्जी मिली. इस अधिकारी ने अर्जी में कहा कि उसे कलेक्टरेट परिसर में रोज घोड़ा बांधने की अनुमति दी जाए. इस अधिकारी के मुताबिक वो घोड़े पर रोज दफ्तर आना चाहता है. इसकी वजह उसने रीढ़ में समस्या बताई जिसकी वजह से वो टू व्हीलर (दोपहिया वाहन) का इस्तेमाल नहीं कर सकता. लेकिन जब डॉक्टरों से इस बारे में राय मांगी गई तो उन्होंने कहा कि घोड़े पर रोज आने जाने से तो रीढ़ को और ज्यादा नुकसान होगा क्योंकि उसमें झटके लगने की ज्यादा संभावना होगी. 

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हालांकि इस मामले के तूल पकड़ने के बाद अधिकारी ने अपनी अर्जी वापस ले ली है.

आइए, अब आपको पूरा मामला बताते हैं कि आखिर हुआ क्या? इस तरह की अर्जी नांदेड़ जिले के रोजगार गारंटी योजना विभाग में लेखाधिकारी के पद पर काम करने वाले सतीश देशमुख ने दी थी. सूत्रों के मुताबिक ये अर्जी मिलने पर जिला प्रशासन की ओर से आर्थोपेडिक्स डॉक्टर से राय मांगी गई. एक स्थानीय अस्पताल के डीन से जवाब आया कि घोड़े की सवारी करने पर झटके लगने की वजह से रीढ़ की समस्या और बढ़ जाएगी.  

अफसर के पास घोड़ा भी नहीं था
दिलचस्प ये है कि अभी देशमुख के पास घोड़ा है भी नहीं. उसने घोड़ा खरीदने से पहले ही इस तरह की अर्जी दे डाली.   

नांदेड़ के जिलाधिकारी विपिन इटनकर ने इस मामले में इतना ही कहा कि इस तरह की अर्जी आई थी लेकिन इसे डालने वाले ने खुद ही इसे वापस ले लिया. ऐसे में अर्जी डालने वाले से पूछताछ के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.  

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बताया जा रहा है कि इस अर्जी की बात तब फैली जब देशमुख ने खुद ही अपने वाट्सऐप स्टेट्स पर इसे अपलोड कर दिया.  

बहरहाल, ये मामला चर्चा का विषय बना हुआ. लोग इस पर तरह तरह की चुटकियां ले रहे हैं. कुछ कह रहे हैं कि जिस तरह पेट्रोल के दाम बढ़ रहे हैं, उससे देखते हुए भी अब घोड़े की सवारी करना ही बेहतर रहेगा. (नांदेड़ से कुवरचंद मंडले के इनपुट्स के साथ) 

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