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महाराष्ट्रः एक और मंत्री पर रिश्वत का आरोप, नासिक पुलिस आयुक्त ने बनाई जांच समिति

कोरोना संकट के बीच महाराष्ट्र में एक के बाद एक मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं. अब परिवहन मंत्री अनिल परब पर भी रिश्वतखोरी के आरोप लगे हैं. नासिक पुलिस ने जांच के लिए जांच समिति गठित की है.

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महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब पर लगे रिश्वतखोरी के आरोप (फाइल-ट्विटर)
महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब पर लगे रिश्वतखोरी के आरोप (फाइल-ट्विटर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • एक अधिकारी ने भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया था
  • मंत्री के अलावा परिवहन विभाग के 6 अफसरों पर लगे आरोप
  • आरोप लगाने वाले अधिकारी गजेंद्र पाटिल जनवरी से निलंबित

नासिक के पुलिस आयुक्त ने महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री और शिवसेना के वरिष्ठ नेता अनिल परब, परिवहन आयुक्त अविनाश ढाकने और कुछ अन्य आरटीओ अधिकारियों के खिलाफ रिजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) के एक अधिकारी द्वारा कथित भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच पैनल का गठन किया है.

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महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और शिवसेना नेता अनिल परब के खिलाफ गंभीर किस्म के आरोप लगाए हैं, जिनके पास राज्य परिवहन मंत्रालय है. इनके अलावा परिवहन आयुक्त अविनाश ढाकने और पांच अन्य आरटीओ अधिकारियों पर आरोप लगे हैं. परब, ढाकने और अन्य अधिकारियों के खिलाफ लगाए गए आरोप भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के हैं. परब को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का करीबी समझा जाता है.

अपने शिकायती आवेदन में शिकायतकर्ता ने कहा है कि परिवहन विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार चल रहा है. शिकायतकर्ता की पहचान गजेंद्र पाटिल के रूप में हुई है जो मोटर वाहन निरीक्षक के रूप में काम करते हैं, लेकिन इस साल जनवरी में कथित भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित कर दिया गया है.

करोड़ों रुपये की रिश्वत का आरोप

उन्होंने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि अधिकारियों ने विभाग में स्थानान्तरण एवं पदस्थापन के लिए ऊपर से नीचे तक कथित तौर पर करोड़ों रुपये रिश्वत के तौर पर लिए थे. 

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गजेंद्र पाटिल ने अपनी शिकायत में एक डिप्टी आरटीओ के नाम का भी उल्लेख किया है और कहा कि वह पूरे रैकेट का सरगना है जिसने कथित तौर पर विभाग में तबादलों और पोस्टिंग को हैंडल करता था. शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि राज्य के दो जिलों में कार्यरत दो आरटीओ ने BSIV गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन के दौरान सरकार और कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया.

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शिकायत में यह भी कहा गया है कि बॉर्डर चेकपोस्ट भ्रष्टाचार का एक अन्य प्रमुख केंद्र है जहां आरटीओ अधिकारी भ्रष्ट गतिविधियों में संलिप्त थे. आरोप के अनुसार परिवहन विभाग में ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए बताई गई राशि सैकड़ों करोड़ में है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि परब के परिवहन आयुक्त के रूप में अविनाश ढाकने की नियुक्ति के लिए उक्त अधिकारी (किंगपिन) द्वारा कथित तौर पर पांच करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था. परिवहन विभाग के अधिकारियों के अलावा, एक परिवहन मंत्रालय के नौकरशाह भी पाटिल द्वारा अपने शिकायत आवेदन में नामित लोगों में शामिल हैं.

15 मई मेल के जरिए की गई शिकायत

पाटिल को इस साल जनवरी में निलंबन कर दिया गया. निलंबन पर उनका कहना है कि ऐसा केवल इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने विभाग में भ्रष्टाचार के बारे में शिकायत की थी और उक्त किंगपिन द्वारा लगाए गए दबाव के आगे नहीं झुके. शिकायत में विभिन्न पोस्टिंग और ट्रांसफरों का विवरण और तारीखों के साथ अधिकारियों के पद और पदनाम के अनुसार उन पोस्टिंग की मांग के लिए कथित रूप से भुगतान की गई राशि का विवरण दिया गया है.

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पाटिल ने 15 मई को नासिक के पंचवटी पुलिस स्टेशन, नासिक के पुलिस आयुक्त, पुलिस महानिदेशक (भ्रष्टाचार विरोधी), सीबीआई, ईडी, उपमुख्यमंत्री कार्यालय को ई-मेल के माध्यम से शिकायत भेजकर शिकायत में नामित लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की. 

शिकायत आवेदन प्राप्त होने के बाद, नासिक के पुलिस आयुक्त दीपक पांडे ने तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया, जिसमें शिकायत आवेदन में उल्लिखित आरोपों की जांच करने और पांच दिनों में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए डीसीपी (क्राइम) संजय बरकुंड की अगुवाई में पुलिस उपायुक्त रैंक के तीन अधिकारी शामिल हैं. दीपक पांडे द्वारा 27 मई को आदेश जारी किया गया था और डीसीपी क्राइम संजय बरकुंड के साथ डीसीपी विजय खरात तथा डीसीपी अमोल तांबे जांच पैनल में अधिकारी हैं.

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