मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार हुए महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक अपने खिलाफ दर्ज केस रद्द करवाने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में पहुंच गए हैं. उन्होंने याचिका में अपनी गिरफ्तारी को गैर-कानूनी बताया है. साथ ही जल्द से जल्द रिहाई की मांग की है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भगोड़े अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में उनके खिलाफ दर्ज किया है. वह फिलहाल तीन मार्च तक ईडी की हिरासत में रहेंगे. याचिका पर जल्द सुनवाई होने की उम्मीद है.
'एजेंसियों के दुरुपयोग पर बोलने पर पकड़ा'
नवाब मलिक ने आरोप लगाया कि उनकी गिरफ्तारी अवैध है. उन्हें केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग की खुलकर आलोचना करने के कारण लक्षित किया गया है. उन्होंने कहा कि वह पहले नहीं है, जिसे निशाना बनाया गया है. यह देशभर में चिंतित करने वाला ट्रेंड है, जहां सत्ता में बैठी पार्टी की तरफ से केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है.
'घर से जबरन उठा ले गई ईडी'
ईडी ने 23 फरवरी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था. ईडी ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के खिलाफ 3 फरवरी को दर्ज एनआईए की एफआईआर के आधर पर यह कार्रवाई की थी. मलिक ने याचिका में कहा कि ईडी के अधिकारियों ने 23 फरवरी को उन्हें बिना किसी नोटिस या समन के आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत उनके आवास से जबरन उठा लिया.
'विशेष अदालत का फैसला गलत'
मंत्री ने याचिका में यह भी कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामलों की सुनवाई के लिए नामित विशेष अदालत ने 23 फरवरी को अपना आदेश सुनाते हुए उन्हें 8 दिन के लिए ईडी की रिमांड में भेज दिया जबकि यह मामला विशेष कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में ही नहीं आता था.
300 करोड़ की संपत्ति हड़पने की साजिश
मलिक के खिलाफ रिमांड में ईडी ने आरोप लगाया कि मलिक ने दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों- हसीना पार्कर, सलीम पटेल और सरदार खान के साथ मिलकर मुंबई के कुर्ला में मुनीरा प्लंबर की पैतृक संपत्ति को हड़पने के लिए एक आपराधिक साजिश रची. इस संपत्ति की कीमत लगभग 300 करोड़ रुपये है. इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में भी ईडी जांच कर रही है.