scorecardresearch
 

NCP ने कांग्रेस से नाता तोड़ा, महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़

महाराष्ट्र की राजनीति में 25 सितंबर 2014 का दिन दो बड़े और पुराने गठबंधनों के टूटने का दिन रहा. बीजेपी-शिवसेना में टूट के बाद शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने भी कांग्रेस से अलग होकर विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया. एनसीपी ने कहा कि वह अब 'समान मानसिकता' वाली पार्टियों के साथ चुनाव लड़ेगी. एनसीपी नेता अजित पवार ने कहा कि वह प्रदेश के राज्यपाल के पास जाकर अपने फैसले की सूचना देंगे.

Advertisement
X
Ajit Pawar, prithviraj chavan
Ajit Pawar, prithviraj chavan

महाराष्ट्र की राजनीति में गुरुवार का दिन दो बड़े और पुराने गठबंधनों के टूटने का दिन रहा. बीजेपी-शिवसेना में टूट के बाद शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने भी कांग्रेस से अलग होकर विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया. एनसीपी ने कहा कि वह अब 'समान मानसिकता' वाली पार्टियों के साथ चुनाव लड़ेगी. दोनों पार्टियों के बीच 15 साल से गठबंधन था.

Advertisement

एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल, अजित पवार और सुनील तत्कारे ने प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस से अलग होने का ऐलान किया. तीनों नेताओं की भाषा और शिकायतें वैसी ही थीं, जैसी शिवसेना से अलग होने के बाद बीजेपी नेताओं की थी. एनसीपी ने कांग्रेस पर जिद पर अड़े रहने का आरोप लगाया. एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि उनकी पार्टी ने कांग्रेस को मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल साझा करने का प्रस्ताव भी दिया था, लेकिन कांग्रेस नहीं मानी. अजित पवार ने कहा कि वह प्रदेश के राज्यपाल के पास जाकर इस फैसले की सूचना देंगे.

 

एनसीपी नेताओं ने किसी रिवाज की तरह कांग्रेस के साथ बिताए अपने अच्छे समय को याद किया. प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि  उन्होंने कहा, '27 सितंबर को नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन है, वक्त बीत चुका है, इसलिए हमने अकेले चुनाव में उतरने का फैसला किया है.'

Advertisement

 

पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे प्रफुल्ल पटेल ने कहा, 'एनसीपी 15 साल तक इस प्रोग्रेसिव और सेक्युलर गठबंधन का हिस्सा रही. हमने हमेशा कांग्रेस का समर्थन किया और उनका मुख्यमंत्री बनने दिया.2004 में हमारे पास कांग्रेस से ज्यादा विधायक थे, फिर भी हमने सीएम की कुर्सी कांग्रेस को दी. लेकिन इस लंबे गठबंधन के बावजूद मसले का हल नहीं निकल पाया.'

 

उन्होंने बताया कि डेढ़ महीने पहले शरद पवार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले थे और महाराष्ट्र में एक साथ चुनाव लड़ने की बात कही थी. हमने तभी साफ कर दिया था कि हम बराबर सीटों पर लड़ना चाहते हैं. एनसीपी ने यह भी कहा कि कांग्रेस के साथ उनका संवाद अच्छा नहीं रह गया था और उन्हें बहुत सारी बातें मीडिया के जरिये पता चल रही थीं.

 

याद रहे कि 288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में एनसीपी ने इस बार 144 सीटों की मांग की थी, जिसे कांग्रेस ने नामंजूर कर दिया था. तब से गतिरोध सुलझाने के लिए दोनों पार्टी के नेताओं के बीच बैठकें हो रही थीं. पिछले विधानसभा चुनाव में एनसीपी ने 114 सीटों पर चुनाव लड़ा था.

Advertisement
Advertisement