महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. ऐसे में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) चीफ शरद पवार ने शुक्रवार (21 सितंबर) को एक विवादित बयान देकर सियासी माहौल गरम कर दिया. शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली सरकार से लोगों में नाराजगी है. ऐसे में केवल पुलवामा हमले जैसी घटना से ही महाराष्ट्र के लोगों का मूड बदल सकता है.
पवार ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2019 से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी लोगों में गुस्सा था. हालांकि, पुलवामा में सीआरपीएफ जवान पर हुए हमले ने पूरे परिदृश्य को बदल रख दिया, इसलिए अब महाराष्ट्र के लोगों का मूड पुलवामा हमले जैसी घटना से ही बदल सकता है. शरद पवार ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए ये बात कही.
इस दौरान पवार ने यह भी दावा किया कि उन्होंने इस साल फरवरी में हुए पुलवामा हमले को लेकर पूछताछ की, तो उन्हें इस बात पर शक था कि यह जानबूझकर किया गया था.
पवार ने आगे कहा कि मैंने डिफेंस में काम किया है और जब मैंने कुछ अधिकारियों से बातचीत की तो मुझे शक हुआ कि पुलवामा हमला या तो जानबूझकर किया गया था या इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ हो सकता है.
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में इसी साल 14 फरवरी को आतंकवादी हमला हुआ था जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद वायु सेना द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट स्थित आतंकी कैंप पर एयर स्ट्राइक की गई थी, जिसमें कई आतंकी मारे गए थे.
इसे लेकर शरद पवाल ने कहा कि बालाकोट एयरस्ट्राइक से मोदी सरकार की लोकप्रियता बढ़ी. हालांकि, उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार का ये जादू महाराष्ट्र में नहीं चल पाएगा, क्योंकि लोग फडणवीस सरकार से संतुष्ट नहीं हैं.
आगे पवार ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी को नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि राष्ट्रवादियों से लोगों की उम्मीदें बढ़ी हैं, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने ऐसा कोई काम नहीं किया कि फडणवीस फिर से सत्ता में आएं.
आगे उन्होंने कांग्रेस और एनसीपी के फैसले पर जोर देते हुए कहा, 'हम ज्यादा से ज्यादा धर्मनिरपेक्ष ताकतों को साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं. हमने कांग्रेस से हाथ मिलाया और अब हम बहुजन विकास अगाड़ी, समाजवादी पार्टी और अन्य छोटी पार्टियों को अपने साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं.'
पवार ने आगे ये भी बताया कि एनसीपी की मंशा राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के साथ आने की थी, लेकिन कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं थी.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में इसी साल 288 सदस्यों वाली विधानसभा के लिए चुनाव होने हैं.