महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार को एंटी करप्शन ब्यूरो जांच में पेशी की रियायत को लेकर बवाल खड़ा हो गया है. सिंचाई घोटाले की जांच में ACB अब पवार से लिखित जवाब लेगी लेकिन इस राहत पर कई उंगलियां उठ रही हैं.
अजित पवार को छगन भुजबल की तरह एसीबी के तीखे सवालों का सामना नहीं करना होगा. करोड़ों के सिंचाई घोटाले की जांच में लगे एंटी करप्शन ब्यूरो ने पवार को ACB के दफ्तर राहत दे दी है. अजित पवार एसीबी के दफ्तर बिना जाए, जांच के सवालों के जवाब दे सकते हैं जिसके लिए एसीबी पूर्व उप-मुख्यमंत्री को सवालों की एक लिस्ट भेजेगा.
BJP ने बनाई थी SIT
सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने सिंचाई घोटाले की जांच के लिए एक स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया था. अजित पवार और उस वक्त सिंचाई मंत्री रहे एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनिल तटकरे भी सिंचाई घोटाले में आरोपी हैं.
वहीं, ACB महाराष्ट्र सदन घोटाले की जांच भी कर रही है जिसमें छगन भुजबल आरोपों के घेरे में है. एसीपी ने बाकायदा दफ्तर बुलाकर भुजल समेत उनके बेटे पंकज और भतीजे समीर का बयान दर्ज किया है लेकिन अजीत पवार की किस्मत अच्छी है कि उन्हें ACB के सीधे सवालों का सामना नहीं करना होगा.
चुनाव के बाद बढ़ी नजदीकियां
चुनाव के बाद एनसीपी ने देवेंद्र फड़नवीस सरकार को खुलकर समर्थन का ऐलान कर दिया था. उस वक्त से ही राजनीतिक गलियारों में दबी जुबान में एनसीपी और बीजेपी की नजदीकियों की चर्चा होने लगी. कहा तो ये भी जा रहा है कि बीजेपी ने अजीत पवार को सिर्फ यही फायदा नहीं पहुंचाया है.
पार्टी के अंदर वर्चस्व की लड़ाई
इससे पहले ACB ने पवार को पिछले महीने पूछताछ के लिए समन भेजा था. पवार ने उसका भी जवाब नहीं दिया और बाद में अपनी सफाई में पवार ने कह दिया कि वो राज्य में नहीं थे और इसलिए उनके लिए ACB के दफ्तर पहुंचना मुमकिन नहीं था. बता दें कि अजित पवार और छगन भुजबल, दोनों नेताओ में पार्टी के अंदर भी वर्चस्व की लड़ाई की चर्चा हमेशा होती रही है.