पिछले दिनों राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में शामिल हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व नेता एकनाथ खडसे को पुणे लैंड डील मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से समन जारी किया गया है और उनसे 30 दिसंबर को पेश होने को कहा गया है.
जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एकनाथ खडसे को पुणे में जमीन सौदे के सिलसिले में 30 दिसंबर को पूछताछ के लिए मुंबई स्थित अपने ऑफिस में पेश होने को कहा है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से इस्तीफा देने वाले पूर्व मंत्री खडसे अक्टबूर में एनसीपी में शामिल हो गए. खडसे ने पार्टी प्रमुख शरद पवार की मौजूदगी में एनसीपी का दामन थाम लिया था.
जमीन खरीद में मेरा सीधा संबंध नहींः खडसे
ईडी के समन पर आजतक/इंडिया टुडे से बात करते हुए खडसे ने समन को लेकर पुष्टि की. एकनाथ खडसे ने कहा कि मुझे ईडी से समन मिला है, जिसमें मुझे 30 दिसंबर को पेश होने को कहा गया है. मेरे परिवार ने पुणे के करीब भोसरी में जमीन खरीदा था. जिसे बाद में कहा गया कि यह एमआईडीसी की जमीन थी, लेकिन यह विवादित भूमि है. उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी ने यह जमीन खरीदी थी और इस खरीद में मेरा कोई सीधा संबंध नहीं है. पहले इसी मामले की जांच पुणे एंटी करप्शन ब्यूरो और फिर नासिक एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने की थी, लेकिन उन्होंने एक क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी है. मामले में एक ब्रांच हाईकोर्ट में क्लोजर पेश करने की प्रक्रिया में है. साथ ही आयकर विभाग ने जानकारी मांगी थी जिसे हमने दे दिया था.
इससे पहले शुक्रवार को खडसे ने एजेंसी की ओर से समन मिलने से इनकार कर दिया था, लेकिन तब यह संभावना जताई थी कि ईडी उसे पुणे जमीन सौदे मामले में जांच में शामिल होने के लिए समन भेज सकती है.
ईडी की धमकी दी गई
एनसीपी से जुड़ने के बाद एकनाथ खडसे बीजेपी पर जमकर बरसे. तब खडसे ने कहा था कि मुझे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की धमकी दी गई. उन्होंने कहा, 'मुझे बीजेपी में कठिनाइयों से गुजरना पड़ा. मैं कभी पीछे नहीं हटता. मुझ पर आरोप लगाने के लिए कुछ महिलाओं को साथ लिया गया.'
एकनाथ खडसे ने आरोप लगाते हुए कहा, 'मुझे बताया गया कि अगर मैं पार्टी बदलता हूं तो वे ईडी को मेरे पीछे लगा देंगे. मैंने कहा अगर आप ईडी को मेरे पीछे लगाते हैं, तो मैं आपकी सीडी चलाऊंगा. बीजेपी से नाराज एकनाथ खडसे ने आगे कहा कि 40 साल तक पार्टी की सेवा करने के बावजूद मुझे जो मिला वह एसीबी की पूछताछ और छेड़छाड़ का मामला रहा.
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साल 2015 में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद खडसे ने देवेंद्र फडणवीस की सरकार से इस्तीफा दे दिया था. बाद में उन्हें ज्यादा महत्व नहीं दिया गया. पुणे में जमीन सौदे के संबंध में आरोपों से घिरने के बाद खडसे को 2016 में देवेंद्र फडणवीस की सरकार से इस्तीफा देना पड़ा था. उन पर आरोप है कि खडसे ने अपने परिवार द्वारा सरकारी जमीन की खरीद में अपने पद का दुरूपयोग किया.
हालांकि खडसे के समर्थकों का कहना है कि देवेंद्र फडणवीस के कारण ही उन्हें किनारे किया गया. 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला था, जिसके बाद उन्होंने देवेंद्र फडणवीस पर सीधा हमला बोलना शुरू किया. उनकी बेटी रोहिणी को टिकट मिला लेकिन वो चुनाव हार गई थीं.