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'मैं नीतियों पर काम करने के लिए...', NCP नेता सुप्रिया सुले ने बताई पॉलिटिक्स में आने की वजह

सुप्रिया सुले ने महाराष्ट्र की राजनीति में उतरने से साफ इनकार करते हुए कहा कि मैं नीतियों पर काम करने के लिए लोकसभा में जाने के लिए राजनीति में आई हूं. उन्होंने कहा कि मैं राज्य की राजनीति में नहीं उतरूंगी और चुनाव नहीं लड़ूंगी. यह लड़ाई मेरे पिता के लिए नहीं है. यह लड़ाई महाराष्ट्र की भावना के लिए है.

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सुप्रिया सुले ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राज्य की राजनीति में आने से इनकार कर दिया (फाइल फोटो)
सुप्रिया सुले ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राज्य की राजनीति में आने से इनकार कर दिया (फाइल फोटो)

एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने महाराष्ट्र की राजनीति में उतरने से साफ इनकार करते हुए कहा कि मैं नीतियों पर काम करने के लिए लोकसभा में जाने के लिए राजनीति में आई हूं. उन्होंने कहा कि मैं राज्य की राजनीति में नहीं उतरूंगी और चुनाव नहीं लड़ूंगी. यह लड़ाई मेरे पिता के लिए नहीं है. यह लड़ाई महाराष्ट्र की भावना के लिए है.

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सुले ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, "आपके लिए बिजली, सड़क, स्कूल, कॉलेज सब कुछ कौन लाया? कांग्रेस. कांग्रेस और एनसीपी एक ही हैं. ये सब लोग (बीजेपी) क्या लेकर आए हैं? पिछले 10 वर्षों में ये (बीजेपी) महंगाई, निजीकरण और मणिपुर जैसे हालात लेकर आए हैं.

सुप्रिया सुले ने आगे कहा कि मैं वादा करती हूं कि अगर एमवीए सत्ता में आती है तो पहला सरकार का पहला किसानों के लिए कर्ज माफी पर होगा. मेरा ये वाद लिखकर ले लो. मैं विकास की विरोधी नहीं हूं. मुझे मेट्रो पसंद है लेकिन मुझे राज्य परिवहन बेहतर लगता है. मेट्रो की लागत देखें और इसकी तुलना बसों से करें. 

उन्होंने कहा कि मैं वादा करती हूं कि अगर हमारी सरकार बनी तो हम बसों को इस स्तर तक सुधार देंगे कि कोई भी अजित पवार (मार्च 2023 में) जैसे लोगों की तरफ नहीं देखेगा. संविदा कर्मियों के रूप में कोई नियुक्ति नहीं होगी.

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सुप्रिया लोकसभा चुनाव में जीत की लगा चुकीं हैट्रिक

एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की इकलौती बेटी सुप्रिया सुले ने 2006 में राज्यसभा सांसद के रूप में सक्रिय राजनीति में कदम रखा था. 2009 में उन्होंने बारामती से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा और जीतीं. इसके बाद 2014 और 2019 में भी उन्होंने इसी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत क हैट्रिक लगाई. इसके अलावा उन्हें 2014 में विदेश मंत्रालय, वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय, परामर्शदात्री समिति और भारतीय संसदीय समूह की कार्यकारी समिति की स्थायी समिति की सदस्य भी बनाया गया था.

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