भगवान राम को मांसाहारी बताने वाले नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी से विधायक जितेंद्र आव्हाड ने माफी मांग ली है. उन्होंने कहा है कि कभी-कभी गलती हो जाती है. अपने बयान पर माफी मांगते हुए जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि वह इस मुद्दे को तूल नहीं देना चाहते थे. लेकिन वाल्मिकी रामायण में कई कांड हैं, जिनमें अयोध्या कांड भी है. इसमें श्लोक नंबर 102 है, जिसमें इसका जिक्र है. आव्हाड ने कहा,'मैं बिना रिसर्च कुछ नहीं बोलता. मैं मुद्दे को तूल नहीं देना चाहता, लेकिन अगर मेरी बात से किसी को ठेस पहुंची है तो मैं माफी मांगता हूं. मैं खेद व्यक्त करता हूं. कभी-कभी गलती हो जाती है.
बता दें कि शरद पवार गुट के एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने भगवान राम को लेकर विवादित बयान दिया था. जितेंद्र आव्हाड ने विवादित बयान देते हुए कहा था कि राम हमारे हैं और वह बहुजन हैं. राम शाकाहारी नहीं, मांसाहारी थे. वे शिकार करके खाते थे. उनके इस बयान को लेकर बीजेपी और अजित गुट के नेताओं ने नाराजगी जाहिर की थी. अजित गुट की एनसीपी के कार्यकर्ताओं ने मुंबई में आव्हाड के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था.
दरअसल, जितेंद्र आव्हाड ने कहा था कि आप चाहते हैं कि हम शाकाहारी बन जाएं, लेकिन हम राम को अपना आदर्श मानते हैं और मटन खाते हैं. यह राम का आदर्श है. वह शाकाहारी नहीं बल्कि मांसाहारी थे. 14 साल तक जंगल में रहने वाला व्यक्ति शाकाहारी भोजन की तलाश में कहां जाएगा? ये सही या गलत? मैं हमेशा सही कहता हूं.
महंत राजू दास ने भी साधा निशाना
बता दें कि अयोध्या में हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने भी जितेंद्र आव्हाड के बयान पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि भगवान राम पर यह बयान देने वाले भूल जाते हैं कि जंगल में कंदमूल भी पाए जाते हैं. शरद पवार की पार्टी को उस नेता को कान पड़कर कालिख पोतकर जूते की माला पहनाकर बाहर करना चाहिए. लेकिन अगर उनकी पार्टी आतंकियों की पार्टी और सनातन विरोधियों की पार्टी है तो कोई बात नहीं है, हम उसका जवाब जरूर देंगे. मैं एक बात कहना चाहता हूं अगर मेरी श्रद्धा अल्लाह के लिए नहीं है यीशु के लिए नहीं है तो मुझे टीका टिप्पणी करने का अधिकार किसने दिया है.
ब्राह्मणों के साथ शबरी के भी हैं राम
महंत राजू दास ने आगे कहा कि भगवान राम सबके हैं, जितने भगवान राम ठाकुरों के हैं. उतना ही भगवान राम निषाद राज के भी हैं, जितने भगवान राम ब्राह्मणों के हैं उतने ही शबरी के भी हैं. जिनके पूर्वज इतने महान हों, जिनके ससुर विदेह राज ऐसे रहे हो कि जिससे शिक्षा लेने के लिए ऋषि मुनि तक जाते हो. क्या उनका दामाद साधारण हो सकता है.