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54 का समर्थन पत्र लेकर गए थे अजित पवार, अब साथ बचे बस ये 3 विधायक

शरद पवार ने कहा है कि महाराष्ट्र में एनसीपी ने बीजेपी को समर्थन नहीं दिया है, अजित पवार का फैसला व्यक्तिगत है और उनके साथ 2-3 विधायक ही हैं. एनसीपी के जिन विधायकों ने अजित पवार को समर्थन दिया था वो लौट आए हैं.

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एनसीपी नेता अजित पवार की फाइल फोटो (ANI)
एनसीपी नेता अजित पवार की फाइल फोटो (ANI)

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  • फडणवीस के सामने अभी फ्लोर टेस्ट पास करना बड़ी चुनौती है
  • मामला सुप्रीम कोर्ट में, अजित पवार के अगले कदम पर सस्पेंस

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावती तेवर दिखाते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को सरकार बनाने के लिए समर्थन दिया है. महाराष्ट्र में एनसीपी के 54 विधायकों का समर्थन दिखाकर बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने सरकार तो बना ली है लेकिन उनके सामने अभी फ्लोर टेस्ट पास करना बड़ी चुनौती है. शरद पवार ने कहा है कि महाराष्ट्र में एनसीपी ने बीजेपी को समर्थन नहीं दिया है, अजित पवार का फैसला व्यक्तिगत है और उनके साथ 2-3 विधायक ही हैं. एनसीपी के जिन विधायकों ने अजित पवार को समर्थन दिया था वो लौट आए हैं लेकिन दावा किया जा है कि 3 ऐसे विधायक हैं, जिन्होंने अभी भी अजित पवार का साथ नहीं छोड़ा है.

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एनसीपी में दोबारा लौट कर आए विधायक-

सुनील शेलके - मावल

संदीप क्षीरसागर - बीड

राजेंद्र शिंगणे - सिंदखेडराजा

सुनील भुसारा - विक्रमगड

माणिकराव कोकाटे - सिन्नर

दिलीप बनकर – निफाड (ये बैठक में नहीं हैं. नासिक में है, इनका बेटा बीमार है)

सुनील टिंगरे - वडगाव शेरी

धनंजय मुंडे - परली

प्रकाश सोलंकी - माजलगांव

संजय बनसोडे - उदगीर

नरहरी झिरवल - दिंडोरी

बाबासाहेब पाटील - अहमदपुर

अजित पवार के साथ जो विधायक अभी हैं-

दौलत दरोडा – शहापुर

नितिन पवार - सुरगाणा

अनिल पाटिल - अमलनेर

गौरतलब है कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शनिवार सुबह आठ बजे बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवाई. एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने भी उनके साथ ही उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. 288 सीटों वाली विधानसभा में 145 जादुई आंकड़ा है. बीजेपी के पास 105 विधायक खुद के हैं, उसने 20 निर्दलीय विधायकों और छोटे दलों का समर्थन मिलने का दावा किया है. विधानसभा चुनाव के परिणाम के तुरंत बाद शिवसेना 50-50 फार्मूले पर अड़ गई, जिसके बाद त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति पैदा हो गई थी.

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