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'25 अप्रैल तक अदालत में पेश हों नहीं तो...', मालेगांव मामले में कोर्ट का प्रज्ञा ठाकुर को निर्देश

मुंबई के एक विशेष अदालत ने शनिवार को प्रज्ञा सिंह ठाकुर के आवेदन को स्वीकार करते हुए व्यक्तिगत रूप पेश होने के मामले में थोड़ी राहत दी है. हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि उन्होंने 25 अप्रैल या उससे पहले कोर्ट में पेश होना होगा. अगर वह ऐसा नहीं करती हैं तो आवश्यक आदेश पारित किया जाएगा.

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भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर. (फाइल फोटो)
भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर. (फाइल फोटो)

मुंबई की एक विशेष अदालत ने मालेगांव ब्लास्ट मामले में चिकित्सा के आधार पर व्यक्तिगत रूप से पेश न होने से संबंधित प्रज्ञा सिंह ठाकुर की याचिका को स्वीकार कर लिया है. साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट रूप से बीजेपी सांसद को 25 अप्रैल तक कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया है. अदालत का कहना है कि वो अगर अदालत के समक्ष पेश नहीं होती तो आवश्यक आदेश पारित किया जाएगा.

NIA विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने कहा कि उनका मानना ​​है कि BJP सांसद प्रज्ञा ठाकुर की याचिका अदालत में पेशी से छूट की मांग कर रही हैं. अदालत मुकदमे के अंतिम चरण में आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है, जहां अदालत में पेश किए गए सभी सबूतों को देखती है और आरोपियों से पूछती है कि उन्हें क्या कहना है.
 

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25 अप्रैल को कोर्ट में पेश होंगी प्रज्ञा: वकील

प्रज्ञा की ओर से अदालत में पेश हुए अधिवक्ता जेपी मिश्रा और प्रशांत मग्गू ने कोर्ट को बताया कि वह गंभीर चिकित्सा स्थिति का सामना कर रही हैं और उम्मीद है वो 25 अप्रैल से पहले कोर्ट के सामने पेश होंगी. अदालत ने ठाकुर के मेडिकल रिपोर्ट की फोटो स्टेट कॉपी की जांच की, जिसमें बताया गया कि उनका  मेनास्टंभ और कटिगरा का इलाज चल रहा है. इसके लिए उन्होंने अभी हफ्ते और इलाज की जरूरत है.
 
एनआईए की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक अविनाश रसल ने कहा कि हालांकि छूट के आवेदन का समर्थन मेडिकल सर्टिफिकेट के जरिए किया गया था, लेकिन इसमें इस बात का जिक्र नहीं है कि वह भोपाल से मुंबई जाने या जाने की स्थिति में नहीं हैं.

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यह भी पढ़ें: साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के न आने से अदालती कार्यवाही में आ रही बाधा, NIA कोर्ट ने मांगी मेडिकल कंडीशन वैरिफिकेशन रिपोर्ट

वहीं, प्रज्ञा ठाकुर के इस आवेदन पर न्यायाधीश लाहोटी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मेरा मानना है कि व्यक्तिगत पेशी से छूट के इस आवेदन को अंतिम मौके के रूप में अनुमति दी जानी चाहिए.

कोर्ट ने जारी किया था जमानती वारंट

बता दें कि पिछले महीने अदालत ने प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ अदालती कार्यवाही के दौरान उपस्थित नहीं रहने पर उनके खिलाफ 10 हजार रुपये का जमानती वारंट जारी किया था. इसके बाद उनके वकील ने वह अस्वस्थ हैं और इसलिए वह कोर्ट नहीं आ सकतीं. 22 मार्च को अदालत में पेश होने के बाद वारंट रद्द कर दिया गया. अदालत ने इस महीने एनआईए से उसके स्वास्थ्य की स्थिति का सत्यापन करने को कहा था और कहा था कि उसकी अनुपस्थिति से कार्यवाही में बाधा आ रही है.

गौरतलब है कि 29 सितंबर, 2008 को महाराष्ट्र के नासिक शहर के मालेगांव में एक मोटरसाइकिल पर रखे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई थी. इस धमाके में 100 से अधिक लोग घायल भी हुए थे. साध्वी  प्रज्ञा ठाकुर इस मामले में प्रमुख संदिग्धों में से एक थीं,  क्योंकि कथित तौर पर यह उनकी ही मोटरसाइकिल थी जिस पर बम रखा गया था. वह बीजेपी के उन कई मौजूदा सांसदों में शामिल हैं, जिनका नाम आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की 195 उम्मीदवारों की पहली सूची से गायब था.

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