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'भले इनकम नहीं, लेकिन सक्षम होने पर पति को देना होगा मेंटेनेंस', मुंबई की कोर्ट का फैसला

मझगांव मजिस्ट्रेट अदालत ने कहा कि यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि पति की कोई आय है. पत्नी ने कुछ सोशल मीडिया पोस्ट की ओर इशारा किया, जिसमें उसका विजिटिंग कार्ड और कुछ अन्य पोस्ट थे. दस्तावेजों पर विचार करने के बाद मजिस्ट्रेट ने फैसला दिया. कोर्ट ने यह माना कि दस्तावेजों में पति की आय नहीं दिखाई गई है. लेकिन पत्नी का भरण-पोषण करना उसका दायित्व है.

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मुंबई की एक कोर्ट ने फैसला सुनाया है. (सांकेतिक तस्वीर)
मुंबई की एक कोर्ट ने फैसला सुनाया है. (सांकेतिक तस्वीर)

मुंबई की एक अदालत ने एक पति द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. इस फैसले में पति को अपनी अलग रह रही पत्नी को अंतरिम गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था. कोर्ट का कहना था कि वो (पति) मेंटेनेंस देने में सक्षम है, भले ही उसके पास कोई आय नहीं है.

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मझगांव मजिस्ट्रेट अदालत ने कहा कि यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि पति की कोई आय है. पत्नी ने कुछ सोशल मीडिया पोस्ट की ओर इशारा किया, जिसमें उसका विजिटिंग कार्ड और कुछ अन्य पोस्ट थे. पत्नी के अनुसार, यह चीजें दिखाती हैं कि वो जॉब कर रहा है. जबकि पति ने कहा कि जब उसकी शादी हुई, तब भी उसके पास कभी नौकरी नहीं थी. वर्षों से वो कभी निश्चित आय के लिए नौकरी में नहीं आ सका.

'पत्नी और बच्चों को देने होंगे पैसे'

इन सभी दस्तावेजों पर विचार करने के बाद मजिस्ट्रेट ने फैसला दिया. कोर्ट ने यह माना कि दस्तावेजों में पति की आय नहीं दिखाई गई है. हालांकि, वह अच्छे शरीर वाला व्यक्ति है और पत्नी का भरण-पोषण करना उसका दायित्व है. पति को अंतरिम भरण-पोषण के तौर पर अपनी अलग रह रही पत्नी को 5000 रुपये प्रति माह और दोनों बेटों को 3000 रुपये प्रति माह देने का निर्देश दिया गया है.

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क्या था पूरा मामला?

दरअसल, पत्नी की तरफ से कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. पत्नी का कहना था कि जब दोनों की शादी हुई तो वे मुंबई उपनगर में एक किराए के अपार्टमेंट में रहने चले गए. वहां पति ने उसके साथ मारपीट की. किसी और के साथ अवैध संबंध बना लिए. पत्नी की ओर से पेश वकील ने कहा कि पत्नी और उनके बच्चे आर्थिक रूप से पति पर निर्भर थे. पत्नी ने घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. पति का आरोप है कि पत्नी ने उसके खिलाफ घरेलू हिंसा और रेप की एफआईआर दर्ज कराई थी.

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'पति जेल में बंद, नौकरी नहीं है'

मामले में गिरफ्तार होने के बाद से वो जेल में है. इसलिए उसके पास कोई नौकरी नहीं है. हालांकि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एनपी त्रिभुवन ने कहा कि मजिस्ट्रेट अदालत ने उचित परिप्रेक्ष्य में कानूनी और तथ्यात्मक पहलू की सराहना की है. पत्नी के आवेदन को अनुमति देने में कोई गलती नहीं की है और पति की अपील खारिज कर दी है.

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