महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने भ्रष्टाचार के उन मामलों की जांच के लिए अनुमति की आवश्यकता खत्म करने का प्रस्ताव दिया है, जिनमें प्रथम दृष्टया साक्ष्य हैं. फड़नवीस ने आज तक के साप्ताहिक कार्यक्रम सीधी बात में कहा, ‘क्यों किसी मंजूरी की आवश्यकता होनी चाहिए. हम एक रुपरेखा बनाएंगे, जहां प्राथमिक जांच हुई है और प्रथम दृष्टया साक्ष्य हों तो कोई अनुमति नहीं लेनी होगी. हम कानून में बदलाव करेंगे.’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह कथित सिंचाई घोटाले में एनसीपी नेता अजीत पवार और सुनील तटकरे के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को जांच करने की अनुमति देंगे तो फड़नवीस ने कहा, ‘भ्रष्टाचार के मामलों में (जांच शुरू करने के लिए) विशेषाधिकार की कोई आवश्यकता नहीं है. जब आप प्रथम दृष्टया कुछ सबूत पाते हैं तो आप क्यों रोकेंगे.’
इस बात पर भी गौर किया जा सकता है कि महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल ने ‘आदर्श सोसाइटी घोटाला’ मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई को अनुमति नहीं दी थी.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह दूसरे पृथ्वीराज चव्हाण बनेंगे, जिन पर अपने भ्रष्ट साथियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का आरोप था. फड़नवीस ने कहा, ‘मैं पृथ्वीराज चव्हाण नहीं हूं. मैं देवेंद्र फड़नवीस हूं. मेरे काम मेरे शब्दों से अधिक बोलेंगे.’