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UP की तर्ज पर अब महाराष्ट्र में भी गायों की सुरक्षा के लिए एंबुलेंस

महाराष्ट्र में गायों के अच्छे स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए गौ सेवा रथ के नाम से एंबुलेंस की शुरूआत की है. इस एंबुलेंस की सेवा 7 दिन 24 घंटे उपलब्ध कराई जाएगी. एंबुलेंस का मोबाइल नंबर भी है, जिसके जरिए एंबुलेंस को बुलाया जा सकता है.

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 महाराष्ट्र में गायों के लिए एंबुलेंस सेवा की शुरू
महाराष्ट्र में गायों के लिए एंबुलेंस सेवा की शुरू

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महाराष्ट्र में गायों के अच्छे स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए गौ सेवा रथ के नाम से एंबुलेंस की शुरूआत की है. इस एंबुलेंस की सेवा 7 दिन 24 घंटे उपलब्ध कराई जाएगी. एंबुलेंस का मोबाइल नंबर भी है, जिसके जरिए एंबुलेंस को बुलाया जा सकता है.

बता दें कि इससे पहले उत्तर प्रदेश में भी गायों को चिकित्सा सुविधाएं देने के योगी सरकार ने अहम फैसला लिया था. उन्होंने गौवंश चिकित्सा मोबाइल वैन की शुरुआत की. इसी क्रम में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने पांच गौवंश चिकित्सा मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था.

यह एम्बुलेंस सेवा मनरेगा मजदूर कल्याण संगठन के सहयोग से चलाई जा रही हैं. कार्यक्रम में एम्बुलेंस रवाना करते समय केशव मौर्य ने कहा कि अब कत्लखानों से रक्त नहीं बल्कि डेयरियों से दूध बहेगा. इस एम्बुलेंस में एक पशु चिकित्सक के साथ उसका सहायक मौजूद रहेगा.

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झारखंड में भी शुरू हुई गायों के लिए एंबुलेंस
इससे पहले 2015 में झारखंड में गायों के लिए एंबुलेंस सेवा की शुरुआत की गई थी. इसके लिए खास तौर पर स्वामी रामदेव रांची आए थे. उस समय एक व्यवसायी आर के अग्रवाल ने अपने निजी फंड से ऐसी 10 एंबुलेंस की व्यवस्था कराई थी. बता दें कि वे झारखंड प्रादेशिक गौशाला संघ के अध्यक्ष भी हैं. ऐसा भी कहा गया था कि 2016 में जब गायों की मौत की चर्चा हुई थी, तब इन्हीं एम्बुलेंस से उनकी जान बचाई गई थी.

एंबुलेंस ना मिलने से लोग हुए परेशान
देश में जहां इंसानों के लिए समय पर एंबुलेंस नहीं मिलती है, क्या वहां गायों के लिए मिल पाएगी. कुछ समय से ऐसी खबरें सामने आई थी जहां पर ओडिशा के कालाहांडी ज़िले में एक व्यक्ति को अपनी पत्नी के शव को कंधे पर रखकर 12 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा था. जिस अस्पताल में उस महिला की मौत हुई थी, वहां से अस्पताल ने कथित तौर पर शव ले जाने के लिए एंबुलेंस मुहैया कराने से इनकार कर दिया था.

इसके अलावा कौशांबी के एक गांव में शख्स को अपनी सात महीने की भांजी की डेड बॉडी को मजबूरन कंधे पर लादकर 10 किलोमीटर का सफर साइकिल से तय करना पड़ा. पीड़ित परिवार का आरोप है कि जब सरकारी हॉस्पिटल से एम्बुलेंस मांगी गई तो उन्होंने 800 रुपए मांगे और एम्बुलेंस नहीं दी थी.

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साथ ही छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा के लावा गांव में 40 साल के एक जख्मी शख्स को दो लोग अपने कंधों पर 14 km दूर हॉस्पिटल तक ले गए. जख्मी शख्स को बांस पर खाट का झूला बनाकर लिटाया और फिर हॉस्पिटल तक ले गए थे. ऐसी और भी घटना देखने को मिली थी.

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