केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण राज्यमंत्री रामदास आठवले ने अपने एक भाषण में महाराष्ट्र की भीमा-कोरेगांव हिंसा का जिक्र करते हुए माना कि इन्हें आधार बनाकर राजनीति की जा रही है. अठावले ने कहा, 'समाज में जातीय हिंसा का हल कभी भी क्रांति से नहीं निकल सकता. शांति से काम लेना चाहिए.' कहा, 'चीजें बदल रही हैं. समाज में जातीय समरसता के लिए सबसे अच्छा समाधान अंतरजातीय (इंटरकास्ट मैरिज) विवाह है.' भीमा-कोरेगांव की हिंसा पर आठवले ने महाराष्ट्र सरकार का बचाव किया.
आठवले ने कहा, 'दलित अत्याचार पर राजनीति मत करो. समाज में परिवर्तन हो रहा है. वेंकैया नायडू की जाति अलग है. मेरी जाति अलग है. लेकिन एक साथ बैठते हैं, खाना खाते हैं. उन्होंने कहा, 'एक ज़माना था. आज समाज में बहुत बड़ा परिवर्तन हो रहा है. एक ज़माना था जब बाबा साहब आंबेडकर जी स्कूल के अंदर नहीं जा सकते थे. स्कूल के बाहर बैठकर पढ़ाई करते थे. लेकिन मुझे जो अनुभव है...मेरी जो रिपब्लिकन पार्टी है सभी जातियों की पार्टी है. सभी धर्म की पार्टी है. बाबा साहब की सोच भी ऐसी थी. संसदीय लोकतंत्र में अगर जीतना है तो एक जाति और धर्म के आधार पर नहीं जीत सकते. जाति के नाम पर संघर्ष नहीं होने चाहिए. शांति होनी चाहिए.' नई दिल्ली में बुधवार को द मार्जिनलाइज्ड पब्लिकेशन की 'भारत के राजनेता सीरिज' के तहत आठवले पर एक किताब उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने विमोचित की. इसी दौरान उन्होंने ये बातें कहीं.
Once again compliment the publishers 'The Marginalized Publication' for bringing up this series of Books. pic.twitter.com/6xfuPM7tPC
— VicePresidentOfIndia (@VPSecretariat) January 3, 2018
उन्होंने कहा, 'गौतम बुद्ध का जन्म क्षत्रीय समाज में हुआ था. लेकिन उन्होंने मानवीय करुणा के लिए काम किया. वो हमारे समाज में नहीं जन्मे थे. पूरी दुनिया उनके दर्शन को मानती है. इसलिए हमारे समाज में 'संघर्ष' शांति के लिए होना चाहिए. संघर्ष क्रांति के लिए नहीं होना चाहिए. हिंसा के लिए नहीं होना चाहिए.' कार्यक्रम के बाद Aajtak.in के एक सवाल पर उन्होंने कहा, 'महाराष्ट्र में दलित-मराठा संघर्ष ठीक नहीं. सरकार चीजों को अच्छी तरह से नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है. कट्टर दक्षिणपंथी राजनीति पर आठवले ने कुछ सवालों के जवाब नहीं दिए.
आठवले ने बताई मोदी के साथ आने की वजह
प्रोग्राम के दौरान आठवले ने कहा, 'मैं दो-तीन बार लोकसभा में रिपब्लिकन पार्टी के टिकट पर चुनकर आ चुका हूं. तब मैं कांग्रेस के साथ था. तब बीजेपी का विरोध करता था. लेकिन मुझे मालूम हो गया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में परिवर्तन हो रहा है. वो आंबेडकर के बारे में अच्छा बोलते हैं. संविधान के बारे में अच्छा बोलते हैं. दलित आरक्षण के प्रोटेक्शन की भूमिका लेते हैं. इसीलिए मैंने बीजेपी के साथ आने का फैसला किया.' कहा, 'मैं जब निर्णय लेता हूं तो गांव-गांव के पार्टी कार्यकर्ताओं से बात करता हूं. मुझे सभी ने कहा कि बीजेपी सभी जातियों की पार्टी है. उसमें दलित, बैकवर्ड जाति के लोग हैं. माइनॉरिटी के लोग हैं. ब्राह्मण है. सभी जाति के लोग हैं, इसीलिए मैं इनके साथ आया.'
जातीय संघर्ष से निपटने का आठवले फ़ॉर्मूला
कहा, 'मेरा जीवन सभी जातियों को जोड़ने के लिए है. बाबा साहब ने जो माई साहब आंबेडकर थीं, सविता आंबेडकर थीं, उनके साथ शादी की. वो ब्राह्मण समाज की थीं. मेरी पत्नी भी ब्राह्मण हैं. मुझे लगता है कि इंटरकास्ट मैरिज को बढ़ावा देना चाहिए. मैं जहां भी जाता हूं युवाओं को इंटरकास्ट मैरिज के लिए कहता हूं. आठवले ने कहा, 'इंटरकास्ट मैरिज से ही समाज में समरसता का समाधान होगा.'
राज्यसभा सांसद डी राजा ने महाराष्ट्र की हिंसा पर चिंता जताई. उन्होंने लेफ्ट-आंबेडकराइट गठजोड़ को समय की जरूरत कहा. कार्यक्रम के दौरान अली अनवर भी मौजूद थे.
क्या है कोरेगांव विवाद ?
भीमा कोरेगांव की लड़ाई 1 जनवरी 1818 को पुणे स्थित कोरेगांव में भीमा नदी के पास उत्तर-पू्र्व में हुई थी. यह लड़ाई महार और पेशवा सैनिकों के बीच लड़ी गई थी. अंग्रेजों की तरफ 500 लड़ाके, जिनमें 450 महार सैनिक थे और पेशवा बाजीराव द्वितीय के 28,000 पेशवा सैनिक थे, मात्र 500 सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली 28 हजार मराठा फौज को हरा दिया था.
हर साल नए साल के मौके पर महाराष्ट्र और अन्य जगहों से हजारों की संख्या में पुणे के परने गांव में दलित पहुंचते हैं, यहीं वो जयस्तंभ स्थित है जिसे अंग्रेजों ने उन सैनिकों की याद में बनवाया था, जिन्होंने इस लड़ाई में अपनी जान गंवाई थी. कहा जाता है कि साल 1927 में डॉ. भीमराव अंबेडकर इस मेमोरियल पर पहुंचे थे, जिसके बाद से अंबेडकर में विश्वास रखने वाले इसे प्रेरणा स्त्रोत के तौर पर देखते हैं. हाल ही में सालाना बरसी के दौरान हिंसा भड़क गई थी.