
कोरोना से बुरी तरह से त्रस्त रहे महाराष्ट्र में महामारी से संक्रमित नवजात शिशु की मौत हो गई है. राज्य में कोरोना संक्रमित बच्चे की मौत का यह पहला मामला है. खास बात यह रही कि जब संभावित तीसरी लहर को बच्चों के लिए खतरनाक बताया जा रहा है, तब राज्य के सरकारी अस्पतालों में कोई तैयारी नहीं दिख रही क्योंकि इस शिशु को इलाज के लिए कई अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़े.
पालघर में पैदा होने के महज 12 घंटे के अंदर नवजात का कोरोना टेस्ट कराया गया, जिससे शिशु पॉजिटिव निकला.
छोटे बच्चों के लिए पालघर जिले में आरोग्य सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण कोरोना संक्रमित नवजात बालक को दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर होना पड़ा और फिर नासिक के जिला रुग्णालय में भर्ती कराया गया, लेकिन उपचार के दरम्यान उसकी मौत हो गई.
जन्म लेने यानी पिछले 6 दिनों से यह नवजात जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा था लेकिन उसका संघर्ष कामयाब नहीं रहा. नवजात बालक ने शनिवार की सुबह 5 बजे के दरम्यान उसकी मौत हो गई.
शिशु की मां संक्रमित नहीं
पालघर जिले के सफाले दारशेत स्थित अश्विनी काटेला नामक आदिवासी महिला ने 31 मई के दिन एक निजी अस्पताल में एक नवजात बालक को जन्म दिया था. हालांकि समय से पहले जन्म लेने की वजह से उसका वजन काफी कम था इसलिए उसे उपचार के लिए दूसरे अस्पताल में भेजा गया.
वहां उस नवजात का एंटीजेंट टेस्ट किया गया तो कोरोना पॉजिटिव निकला. हालांकि नवजात की मां की रिपोर्ट निगेटिव निकली.
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बालक की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उसे पालघर के ग्रामीण रुग्णालय में भर्ती कराया गया लेकिन वहां पर नवजात के उपचार की कोई सुविधा नहीं होने की वजह से परिजनों को कई घंटे तक उपचार के लिए दर-दर भटकना पड़ा. पूरे जिले में कोरोना संक्रमित बच्चों के उपचार की सुविधा उपलब्ध जिला प्रशासन की तरफ से नहीं की गई थी.
तैयारियों की खुली पोल
इलाज के लिए कई घंटे भटकने के बाद आखिर में उस बालक को जव्हार के सरकारी अस्पताल में एडमिट किया गया, लेकिन शिशु की हालत लगातार बिगड़ने और अस्पताल में इलाज की उचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से भर्ती के दो दिन के बाद जव्हार के सरकारी अस्पताल से नासिक के जिला रुग्णालय में दाखिल कराया गया.
हालांकि उसे यहां भी बचाया नहीं जा सका और शनिवार की सुबह 5 बजे के आसपास शिशु ने आखरी सांसें ली और इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
कोरोनी की दूसरी लहर के धीमे पड़ने के बाद अब तीसरी लहर की बात कही जा रही है और विशेषज्ञ इस लहर को बच्चों के लिए खतरनाक मान रहे हैं लेकिन राज्य का जिला प्रशासन अपनी तैयारियों को लेकर कितना मुस्तेद और तैयार है यह तो पालघर जिले की जमीनी हकीकत इस घटना से उजागिर होती है. (इनपुट-मोहम्मद हुसैन खान)