पालघर लोकसभा सीट 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. यहां हाल ही में हुए लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी ने कड़े मुकाबले में जीत हासिल की. राजेंद्र गावित सांसद बने. उन्होंने शिवसेना के श्रीनिवास चिंतामन वनागा को चुनाव हराया. इस चुनाव में दिलचस्प बात यह रही कि जो बीजेपी और शिवसेना 2014 में गठबंधन में चुनाव लड़ी थी वो पालघर उपचुनाव में आमने-सामने हो गई.
इसके पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से सांसद चिंतामन वनागा चुनाव जीते थे. उन्होंने बहुजन विकास आघाड़ी के बलिराम जाधव को चुनाव हराया था. इस चुनाव में चिंतामन वनागा ने 5,33,201 वोट हासिल किए. जबकि बलिराम जाधव को 2,93,681 वोट मिले. वहीं, 2009 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो बहुजन विकास आघाड़ी से बलिराम जाधव जीते थे. उन्होंने चिंतामन वनागा को चुनाव हराया था.
क्या रहा है पालघर लोकसभा सीट का इतिहास...
परिसीमन के पहले पालघर लोकसभा क्षेत्र डहाणू के तहत आता था, जबकि वसई-विरार का क्षेत्र उत्तर मुंबई लोकसभा का हिस्सा था. डहाणू लोकसभा की बात की जाए तो यहां 1967 में यशवंतराव मार्तण्डराव मुकने चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. उनके बाद 1977 में कोम शिवदवा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (M) से चुनाव जीते. फिर कांग्रेस के दामोदर शिंगदा लगातार 1980, 1984, 1989 और 1991 में चुनाव जीते. फिर बीजेपी के चिंतामन वनगा 1996 में यहां जीत का परचम लहराने में कामयाब रहे. 1998 में शंकर सखाराम कांग्रेस से जीते. 1999 में चिंतामन वनगा बीजेपी से जीते. 2004 में दामोदर बर्कू शिंगदा जीतने में कामयाब रहे.
क्या है चुनावी समीकरण...
पालघर आदिवासी बहुल इलाका है. इस क्षेत्र में हिंदी भाषी वोटरों की आबादी अच्छी खासी है. इसके बाद गुजराती,आदिवासी और पानमाली वोटरों का नंबर आता है.
क्या है विधानसभा सीटों की स्थिति...
पालघर लोकसभा सीट में कुल छह विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें डहाणू, विक्रमगढ़ बीजेपी के पास हैं. पालघर शिवसेना के पास है. वहीं, बोइसर, नालासोपारा और वसई बहुजन विकास आघाडी के पास है.
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