महाराष्ट्र के पालघर लिंचिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट अब जुलाई के दूसरे हफ्ते में सुनवाई करेगा. इस दौरान महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाब देना होगा. नोटिस में कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की ओर से जांच पर उठाए गए सवालों का जवाब मांगा है.
याचिकाकर्ता श्रद्धानंद सरस्वती की ओर से भी कहा गया कि गवाहों पर पुलिस दबाव डाल रही है. पुलिस के दबाव में कई गवाह तो आत्महत्या कर चुके हैं. साथ ही उन्हें अंदेशा है कि सबूत भी नष्ट किए जा सकते हैं.
याचिका में कहा गया कि महाराष्ट्र पुलिस की जांच प्रक्रिया तुरंत स्थगित कर दूसरी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए. इसमें CBI, SIT या न्यायिक आयोग से जांच कराने का आदेश कोर्ट दे सकता है. दूसरी याचिका में जांच NIA से कराने की अपील है.
महाराष्ट्र का विरोध
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से जांच पर उठ रहे सवालों पर जवाब देने को कहा है. महाराष्ट्र सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि ऐसी ही याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट में भी लंबित है.
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार, केंद्र, सीबीआई और महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर सभी याचिकाओं में पालघर मामले की जांच पर उठाए जा रहे सवालों पर दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. अगली सुनवाई जुलाई के दूसरे हफ्ते में तय कर दी है.
इस बीच पिछले दिनों पालघर हिंसा में शामिल एक आरोपी कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया. आरोपी जिस सेल में हिरासत में लिया गया था, वहां के अन्य आरोपियों को भी क्वारनटीन कर दिया गया है. संपर्क में आए कुल 43 लोगों को क्वारनटीन कर दिया गया था.
केस लड़ रहे वकील की हादसे में मौत
पिछले हफ्ते पालघर लिंचिंग केस की जांच में एक नया मोड़ उस समय आ गया जब इस मामले में 32 साल के एक शख्स ने कथित रूप से खुदकुशी कर ली. इस शख्स से घटना की जांच कर रही सीआईडी ने पूछताछ की थी. पिछले हफ्ते शनिवार शाम को एक पेड़ से इस युवक का शव लटका हुआ मिला.
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पालघर लिचिंग केस में पिछले महीने मई के मध्य में साधुओं का केस लड़ रहे वकील के एक सहयोगी की सड़क हादसे में मौत हो गई है. मृतक का नाम दिग्विजय त्रिवेदी है. ये हादसा बुधवार को मुंबई-अहमदाबाद हाइवे पर हुआ, जब दिग्विजय त्रिवेदी अपनी कार से कोर्ट की ओर जा रहे थे. हादसे में मौत के बाद भी राजनीतिक स्तर पर सवाल उठाए गए.
क्या है मामला?
घटना अप्रैल की है. लॉकडाउन के शुरुआती चरण में पालघर से कुछ दूर एक गांव में भीड़ ने चोरी के शक में दो साधुओं और उनके ड्राइवर की हत्या कर दी थी. 16-17 अप्रैल की रात जब ये दो साधु अपने ड्राइवर के साथ गांव से गुजर रहे थे, तब लोगों को चोरों के आने का शक हुआ.
भीड़ के हत्थे चढ़े साधु मुंबई के जोगेश्सवरी पूर्व स्थित हनुमान मंदिर के थे. ये साधु मुंबई से सूरत अपने गुरु के अंतिम संस्कार में जा रहे थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते पुलिस ने इन्हें हाइवे पर जाने से रोक दिया. फिर गाड़ी में सवार साधु ग्रामीण इलाके की तरफ मुड़ गए, जहां मॉब लिंचिंग के शिकार हो गए.
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भीड़ ने पीट-पीटकर इन साधुओं की हत्या कर दी, इस दौरान वहां पर पुलिसकर्मी खड़े रहे और तमाशा देखते रहे. पुलिसकर्मियों की लापरवाही की बात सामने आने के बाद प्रशासन ने एक्शन लिया और लगातार कई पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया.
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पालघर हिंसा के राजनीतिक स्तर पर तूल पकड़ने के बाद 100 लोगों को गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार होने वालों में 9 नाबालिग भी शामिल थे. विपक्ष ने इस हिंसा के लिए महाराष्ट्र सरकार पर लगातार दबाव बनाया था.