महाराष्ट्र की पालघर पुलिस ने बुधवार को कहा कि आईएनएस अग्रणी पर तैनात नाविक का जबरन वसूली के लिए अपहरण नहीं किया गया था. बुरी तरह झुलसे नाविक मिथिलेश दुबे की पिछले दिनों इलाज के दौरान मौत हो गई थी. मिथिलेश ने पुलिस को खुद के अपहरण होने की बात बताई थी.
पालघर पुलिस के अनुसार, सूरज कुमार मिथिलेश दुबे (27) को जबरन वसूली के लिए अपहरण नहीं किया गया था. उन्हें चेन्नई और पालघर में खुलेआम घूमते देखा गया था. 5 फरवरी को यानी शव मिलने से एक दिन पहले दुबे ने पेट्रोल पंप से दो बोतल डीजल खरीदा था.
पुलिस ने इससे पहले पाया कि दुबे ने 25 लाख रुपये का कर्ज लिया था और उसने शेयर बाजार में भारी निवेश किया. उन्होंने 8.43 लाख का पर्सनल लोन लिया था, जबकि 5.75 लाख रुपये अपने सहयोगी से उधार लिया था और शेयर बाजार में निवेश करने के लिए अपने ससुराल से 8.5 लाख रुपये हासिल किए थे. लेकिन शेयर बाजार में दुबे को भारी नुकसान हुआ और उनके परिवार के सदस्यों को लोन के बारे में जानकारी नहीं थी.
तीसरे फोन के बारे में नहीं बतायाः पुलिस
अब तक यह माना जाता था कि मिथिलेश दुबे को चेन्नई से अगवा किया गया और पालघर लाया गया था. तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला भी दर्ज किया गया था. पालघर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) दत्तात्रेय शिंदे ने कहा कि दुबे ने अपने परिवार को तीसरे मोबाइल फोन के बारे में नहीं बताया था जिसका इस्तेमाल शेयर बाजार में व्यापार के लिए करता था.
उन्होंने कहा कि एंजल ब्रोकिंग के माध्यम से शेयर बाजार में उसके खाते से करीब 17 लाख रुपये का निवेश किया गया था. उनकी मौत के समय उसके एक डीमैट अकाउंट में 76 हजार रुपया ही बैलेंस था. उनके एक अन्य डिमैट अकाउंट में 37 हजार का निवेश किया गया था और उन्हें 24,000 का नुकसान हुआ. हमारे पास डीमैट अकाउंट और बैंक के स्टेटमेंट हैं. हमने बस स्टैंड, एटीएम आदि से उनके मूमेंट्स को सीसीटीवी फुटेज के जरिए एकत्र किए हैं.
अपहरण का किया था दावा
दत्तात्रेय शिंदे ने कहा, '9 लाख रुपया लोन लिया जिसमें 5 लाख रुपये शेयर में निवेश किया और 4 लाख अन्य चीजों में खर्च किया गया था. हमने क्रेडिट स्कोर एजेंसी से पूछताछ की है. हमने 13 बैंकों से लोन के बारे में पूछताछ की है. यह जबरन वसूली के लिए अपहरण का मामला नहीं है. आगे की जांच जारी है.' उन्होंने कहा कि पुलिस सभी संभावित कोणों की जांच कर रही है, जिसमें खुदकुशी और अपहरण भी शामिल है.
दुबे का शव 6 फरवरी को 90% जली अवस्था में घोलवाड़ जंगल में मिला था. दुबे ने दावा किया था कि हवाई अड्डे के बाहर उनका अपहरण कर लिया गया था, लेकिन इलाके के सीसीटीवी फुटेज में ऐसी कोई घटना नहीं दिखी. दुबे चेन्नई से 60 किलोमीटर दूर वेल्लोर के एक लॉज में ठहरे थे और होटल के रजिस्टर में उनका नाम भी दर्ज था. उन्होंने 1 फरवरी को चेक आउट किया, जब उन्हें कोयम्बटूर में आईएनएस अग्रणी में शामिल होना था.
बाद में, उन्होंने पालघर के तलसारी क्षेत्र से 300 रुपये में दो बोतलों में डीजल खरीदा था. पुलिस अभी तक उसकी मौत की परिस्थितियों को स्पष्ट नहीं कर सकी है. मृत्यु से पहले दुबे ने पुलिस को बताया था कि 30 जनवरी को चेन्नई हवाई अड्डे के बाहर से उनका अपहरण कर लिया गया था और पालघर लाकर तीन अज्ञात लोगों ने कथित तौर पर आग लगा दी थी. हालांकि पुलिस का मानना है कि अब तक के मिले सबूतों के आधार पर अपहरण या जोर-जबर्दस्ती के कोई निशान नहीं मिले हैं.