सरकारी हेलिकॉप्टर कंपनी पवन हंस के तीन चौथाई कर्मचारी इन दिनों हड़ताल पर हैं. हड़तालियों की मांग है कि उन्हें महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जैसे दूसरे नक्सली इलाकों पर काम करने नहीं भेजा जाए. फिलहाल इस हड़ताल का महाराष्ट्र पुलिस के ऑपरेशन्स पर कोई असर नहीं पड़ा है.
दरअसल, पवन हंस के कई पायलट सिविल पायलट हैं. उन्हें जंगी इलाकों में जाने की कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है. लेकिन पिछले चार-पांच वर्षों से कंपनी उनकी जान जोखिम में डाल कर उन्हें नक्सल प्रभावी इलाकों में पुलिस कर्मियों को लाने, ले जाने और कई अहम नक्सली ऑपरेशन्स के लिए भेज रही है.
पवन हंस कंपनी से जुड़े कैप्टन आरके महाजन कहते हैं, 'ना तो हम फौजी हेलिकॉप्टर उड़ा रहे हैं और न ही हमें नक्सली इलाकों में ऑपरेशन ऑपरेट करने की ट्रेनिंग दी गई है. ऐसे में हम बिना समुचित उपायों के इतने जोखिम वाले इलाकों में काम नहीं कर सकते.'
दो साल से हो रही है मांग
पिछले दो साल से कंपनी के पायलट मैनेंजमेंट का ध्यान इस समस्या की तरफ खींचने की कोशिश कर रहे हैं. उनका दावा है की केंद्र सरकार की पवन हंस को राज्य सरकारों से काफी मोटी रकम मिल रही है, जिसकी वजह से वो अपने पायलटों की जान खतरे में डाल रहे हैं.
महाजन कहते हैं, 'पायलट काम करने से पीछे नहीं हट रहे हैं, लेकिन यह साफ तौर पर कह रहे हैं कि उन्हें ओएनजीसी के जिस काम के लिए रखा गया है, जिसकी ट्रेनिंग दी गई है, बस वही करेंगे.'
80 फीसद से भी ज्यादा पायलट हैं हड़ताल पर
पवन हंस में तकरीबन 160 पाटलट हैं. पायलट यूनियन पवन हंस पायल्ट्स गिल्ड का दावा है की 120 पाटलट काम पर नहीं जा रहे हैं. हालांकि महाराष्ट्र पुलिस, जो नक्सलियों से लड़ने के लिए घने जंगलों में आवाजाही के लिए पवन हंस का इस्तेमाल करती है, का कहना है कि इस हड़ताल से उनके ऑपरेशन्स पर कोई असर नहीं पड़ा है.