
भारत में हर किसी को ये जानने में दिलचस्पी है कि अमेरिकी फॉर्मास्युटिकल कंपनी फाइजर की बनाई कोविड-19 वैक्सीन देश में कब उपलब्ध होगी. ये वैक्सीन विशेष रूप से तैयार किए गए मैसेंजर राइबो न्यूक्लिक एसिड (mRNA) पर आधारित है.
पुणे में रहने वाले एक शख्स ने फाइजर कंपनी के चेयरमैन-सीईओ अल्बर्ट बौरिया को ईमेल भेज कर पूछा था कि उन्हें भारत में फाइजर की वैक्सीन कब तक मिलेगी. इस शख्स ने ईमेल में कंपनी का शेयर होल्डर होने का हवाला भी दिया. ईमेल भेजने वाले शख्स को उस वक्त सुखद हैरानी हुई जब फाइजर के सीईओ की ओर से तत्काल जवाब भी मिल गया.
मूल रूप से मुंबई से ताल्लुक रखने वाले 58 साल के प्रकाश मीरपुरी अब पुणे में रहते हैं. उन्होंने फाइजर कंपनी के सीईओ को भेजे ईमेल में अपनी तबीयत का भी हवाला दिया था. अल्बर्ट बौरिया ने बिना अधिक वक्त लिए न सिर्फ मीरपुरी को जवाब भेजा बल्कि शुरू में ही उनकी तबीयत के बारे में लिखा. बौरिया ने लिखा कि वो ये जानकर खुश हैं कि मीरपुरी अब पहले से बेहतर हैं.
बौरिया ने जवाब में लिखा, “हम चाहते हैं कि भारत में जल्दी से जल्दी फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन उपलब्ध हो लेकिन अभी इसके लिए भारत से आवश्यक रेग्युलेटरी मंजूरी नहीं मिली है. हम इसके लिए सभी कुछ कर रहे हैं, साथ ही भारत सरकार से समझौते की दिशा में हैं जिससे भारत सरकार के टीकाकरण कार्यक्रम के लिए वैक्सीन उपलब्ध करा सकें. हम स्थिति की तात्कालिकता और इस अहमियत को समझते हैं कि जितनी अधिक से अधिक वैक्सीन्स संभव हो सकें सरकार को उपलब्ध रहें जिससे कि उनका देश में इस्तेमाल किया जा सके.”
प्रकाश मीरपुरी ने आजतक से एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि उन्होंने फाइजर के चेयरमैन-सीईओ को क्यों ईमेल भेजने का फैसला किया. मीरपुरी के मुताबिक उन्होंने 1 अप्रैल को कोविशील्ड वैक्सीन लेने के लिए अपॉइंटमेंट और स्लॉट बुक किया था लेकिन इससे पहले ही 18 मार्च को वे कोविड-19 से संक्रमित हो गए. 15 दिन तक उनका इलाज चलता रहा.
मीरपुरी के मुताबिक अमेरिका में रहने वाले उनके मित्र अभय ने फाइजर कंपनी की वैक्सीन के बारे में विस्तार से बताया था. जब मीरपुरी कोरोना से उभरने के बाद घर पहुंचे तो उन्होंने फैसला किया कि वो दुनिया में जो सबसे कारगर वैक्सीन मानी जा रही हैं, उनकी उपलब्धता के बारे में जानकारी इकट्ठा करेंगे. साथ ही ये पूछेंगे कि वो वैक्सीन्स भारत में कैसे और कब तक उपलब्ध हो सकती हैं.
मीरपुरी कहते हैं कि अगर कोई आम शख्स किसी इंटरनेशनल कंपनी के डायरेक्टर, चेयरमैन या सीईओ को चिट्ठी भेजे तो जवाब आने की गारंटी कम ही होती है. लेकिन अगर कंपनी का कोई निवेशक जानकारी मांगता है तो उस निवेशक को कंपनी की ओर से जवाब मिलने की संभावना बढ़ जाती है.
मीरपुरी ने इसके बाद अमेरिकन स्टॉक एक्सचेंज के जरिए फाइज़र ग्लोबल कंपनी, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी के करीब पांच लाख रुपये के शेयर्स खरीद लिए. इन तीनों कंपनियों की ओर से ही कोविड-19 की वैक्सीन बनाई गई है. मीरपुरी ने ये भी सोचा कि कंपनी से जवाब मिले न मिले लेकिन आने वाले वक्त में इन कंपनी के शेयर्स के भाव जरूर चढ़ेंगे.
प्रकाश मीरपुरी के मुताबिक उन्होंने शेयर्स खरीदने के बाद फाइजर के चेयरमैन-सीईओ अल्बर्ट बौरिया का ईमेल ढूंढ निकाला. फिर उन्हें अपने फाइजर का निवेशक होने का हवाला देते हुए पूछा कि भारत में उन्हें और उनके परिवार के अन्य सदस्यों को इस कंपनी की वैक्सीन कब तक मिल सकती है.
प्रकाश मीरपुरी के मुताबिक उन्हें मार्केटिंग और कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन में काम करने का तीन दशक का अनुभव है. फिलहाल वे पुणे के एक प्राइवेट ग्रुप से एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट के तौर पर जुड़े हैं.
मीरपुरी ने बताया कि 1999 में उनकी मां ,मुंबई के जसलोक अस्पताल में transient ischemic attack (TIA) बीमारी से जूझ रही थीं तब उन्हें वेंटिलेटर डिस्पोजल ट्यूब से संक्रमण हो गया था. तब प्रकाश मीरपुरी ने अमेरिका के US-FDA से संपर्क किया था. तब मीरपुरी को अमेरिका से मां के लिए इमरजेंसी मानवीय मदद के नाते कुछ आधुनिक रिसर्च पर आधारित दवाएं मिली थीं. हालांकि ये बात अलग है कि वो दवाएं मिलने के बाद भी मीरपुरी की मां को बचाया नहीं जा सका था.
मीरपुरी कहते हैं कोरोना वायरस लगातार म्यूटेट हो रहा है. इस लिए पक्के तौर इंसान को पूर्ण सुरक्षित रखने की गारंटी कोई भी वैक्सीन निर्माता नहीं दे सकता. इसलिए वैक्सीन लेने के बाद भी हर किसी को मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग जैसी सावधानियों में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए.