scorecardresearch
 

महाराष्ट्र: दुकानों में शराब की बिक्री के फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती, PIL दायर

महाराष्ट्र सरकार के एक फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. अहमदनगर के सामाजिक कार्यकर्ता की ओर से कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने अपने हाल ही में एक फैसले में सुपरमार्केट और वॉक इन स्टोर में शराब बेचने की अनुमति दी है.

Advertisement
X
फाइल फोटो.
फाइल फोटो.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जनहित याचिका पर जल्द ही बॉम्बे हाई कोर्ट सुनवाई करेगा
  • अहमदनगर के सामाजिक कार्यकर्ता ने दायर की है याचिका

महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है जिसमें सुपरमार्केट, वॉक इन स्टोर में शराब की बिक्री की अनुमति दी गई है. इस संबंध में अहमदनगर निवासी की ओर से बॉम्बे हाई कोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है.

Advertisement

इस साल जनवरी में महाराष्ट्र कैबिनेट ने राज्य भर में सुपरमार्केट और वॉक-इन स्टोर में शराब की बिक्री की अनुमति देने का निर्णय लिया था. वर्तमान में केवल रजिस्टर्ड वाइन स्टोरों को ही शराब बेचने की अनुमति है. राज्य कैबिनेट के निर्णय और इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी होने के बाद नए नियम के तहत वॉक-इन स्टोर्स और सुपरमार्केट में शराब मिल सकेगी. हालांकि, यह निर्णय गढ़चिरौली और वर्धा जिलों में लागू नहीं होगा जहां शराब की बिक्री प्रतिबंधित है.

याचिकाकर्ता संदीप कुसालकर सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उन्होंने अधिवक्ता फिल्जी फ्रेड्रिक के माध्यम से जनहित याचिका दायर की है. याचिका में दावा किया गया कि राज्य सरकार का ये निर्णय 17 अगस्त 2011 के सरकारी संकल्प (जीआर) के विपरीत था, जिसका उद्देश्य नशामुक्ति नीति के जरिए युवाओं में नशा के प्रसार को रोकना था. उन्होंने दावा किया कि कैबिनेट के फैसले ने इस तरह की बिक्री और खरीद पर बिना किसी सीमा के किराने की दुकानों में शराब की बिक्री की अनुमति मिल गई है.

Advertisement

उन्होंने कहा कि कैबिनेट का निर्णय संविधान के अनुच्छेद 47 के विपरीत भी था, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए नशीले पेय और दवाओं के सेवन पर रोक लगाता है. याचिका में कहा गया है, "कैबिनेट का फैसला शराब उत्पादों के लिए विस्तृत बाजार उपलब्ध कराने और राज्य में शराब के प्रभावी डिस्ट्रिब्यूशन और महाराष्ट्र में शराब पीने को लोकप्रिय बनाने की बात करता है."

जनहित याचिका में कैबिनेट के फैसले को असंवैधानिक घोषित करने और महाराष्ट्र निषेध अधिनियम 2011 के सरकारी प्रस्ताव के उल्लंघन की घोषणा करने और वर्तमान जनहित याचिका के लंबित रहने के दौरान कैबिनेट के फैसले के संचालन और प्रभाव पर रोक लगाने की मांग की गई है. जनहित याचिका पर जल्द ही बॉम्बे हाई कोर्ट सुनवाई करेगा.

ये भी पढ़ें

 

Advertisement
Advertisement