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PM मोदी ने नासिक के कालाराम मंदिर से शुरू किया 11 दिन का विशेष अनुष्ठान, अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा तक जारी रहेगा

अयोध्या में भव्य राम मंदिर के अभिषेक समारोह से ठीक 10 दिन पहले पीएम मोदी का इस स्थान पर आना और अपने 11 दिवसीय विशेष अनुष्ठान का यहां से शुभारंभ करना इसलिए महत्व रखता है, क्योंकि  प्रभु राम के जीवन में इसका बहुत महत्व है. 

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पीएम मोदी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 11 दिन के विशेष अनुष्ठान की शुरुआत ​नासिक के कालाराम मंदिर से की. (PC: ANI)
पीएम मोदी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 11 दिन के विशेष अनुष्ठान की शुरुआत ​नासिक के कालाराम मंदिर से की. (PC: ANI)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले 11 दिवसीय अनुष्ठान करेंगे. पीएम मोदी ने अपने इस 11 दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत नासिक में कालाराम मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ की. यह मंदिर नासिक के पंचवटी क्षेत्र में गोदावरी नदी के किनारे स्थित है. अयोध्या में भव्य राम मंदिर के अभिषेक समारोह से ठीक 10 दिन पहले पीएम मोदी का इस स्थान पर आना और अपने 11 दिवसीय विशेष अनुष्ठान का यहां से शुभारंभ करना इसलिए महत्व रखता है, क्योंकि  प्रभु राम के जीवन में इसका बहुत महत्व है.  रामायण काल से जुड़े महत्वपूर्ण स्थानों में पंचवटी का विशेष स्थान है.

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माना जाता है कि उस दौर की कई महत्वपूर्ण घटनाएं यहीं घटी थीं. भगवान राम ने माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान, पंचवटी क्षेत्र में स्थित दंडकारण्य वन में कुछ वर्ष बिताए थे. पंचवटी नाम का अर्थ है 5 बरगद के पेड़ों की भूमि. पौराणिक कथाओं में इस बात का जिक्र है कि प्रभु राम ने पंचवटी में ही अपनी कुटिया स्थापित की थी. क्योंकि 5 बरगद के पेड़ों की उपस्थिति ने इस क्षेत्र को शुभ बना दिया था. अयोध्या में भव्य राम मंदिर के अभिषेक समारोह से ठीक 10 दिन पहले पीएम मोदी का इस स्थान पर आना और अपने 11 दिवसीय विशेष अनुष्ठान का यहां से शुभारंभ करना इसलिए महत्व रखता है, क्योंकि  प्रभु राम के जीवन में इसका बहुत महत्व है. 

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PM मोदी ने मांगा जनता-जनार्दन का आशीर्वाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नासिक दौरे से पहले शुक्रवार सुबह एक वीडियो संदेश में कहा, 'अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में केवल 11 दिन ही बचे हैं. मेरा सौभाग्य है कि मैं भी इस पुण्य अवसर का साक्षी बनूंगा. प्रभु ने मुझे प्राण प्रतिष्ठा के दौरान, सभी भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करने का निमित्त बनाया है. इसे ध्यान में रखते हुए मैं आज से 11 दिन का विशेष अनुष्ठान आरंभ कर रहा हूं. मैं आप सभी जनता-जनार्दन से आशीर्वाद का आकांक्षी हूं. इस समय, अपनी भावनाओं को शब्दों में कह पाना बहुत मुश्किल है, लेकिन मैंने अपनी तरफ से एक प्रयास किया है'.

पीएम के 11 दिवसीय अनुष्ठान का क्या है महत्व?

हिंदू शास्त्रों के अनुसार, किसी देवता की मूर्ति की 'प्राण प्रतिष्ठा' एक विस्तृत अनुष्ठान है. कुछ विशिष्ट नियम निर्धारित हैं जिनका समारोह से पहले पालन करना आवश्यक होता है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से प्रधानमंत्री मोदी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बतौर मुख्य यजमान आमंत्रित किया गया है. यानी वही पूरे अनुष्ठान को संपन्न करवाएंगे. उन्होंने अपने व्यस्त कार्यक्रम और जिम्मेदारियों के बावजूद सभी रीति-रिवाजों का सख्ती से पालन करने का फैसला किया है. परिणामस्वरूप, उन्होंने 11 दिवसीय अनुष्ठान शुरू किया है.

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संतों से जानिए क्या है पीएम मोदी का 11 दिवसीय अनुष्ठान

हिंदू धर्मग्रंथों में अभिषेक से पहले व्रत के लिए विशेष निर्देश दिए गए हैं. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा तक प्रधानमंत्री मोदी अपनी दिनचर्या के हिस्से के रूप में, ब्रह्म मुहूर्त जागरण, पूजा पाठ और साधारण आहार जैसे अनुष्ठानों का पालन करेंगे. मुख्य समारोह से एक सप्ताह पहले 16 जनवरी से अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में वैदिक अनुष्ठान शुरू होंगे. वाराणसी के पंडित लक्ष्मी कांत दीक्षित 22 जनवरी को मुख्य 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह संपन्न कराएंगे. एक सप्ताह के अनुष्ठान के दौरान 1008 हुंडी महायज्ञ का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें हजारों श्रद्धालु हवन करेंगे. श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए अयोध्या में टेंट सिटी बनाई गई है.

पीएम मोदी के 11 दिवसीय अनुष्ठान के बारे में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने जानकारी देते हुए कहा, 'जहां तक उपवास का सवाल है तो इससे मनुष्य तप कर कुंदन होता है. एक शक्ति जनता से प्राप्त होती है, एक शक्ति ईश्वर से प्राप्त होती है. भगवान से शक्ति प्राप्त कर जनता की सेवा के लिए प्रधानमंत्री मोदी यह 11 दिनों का अनुष्ठान कर रहे हैं. अलग-अलग पंथ के अलग-अलग अनुष्ठान हैं. जैन और बुद्ध धर्म के अलग हैं तो सनातन धर्म के अलग. यह मन का शुद्धिकरण है, कोई निराहार रहता है, कोई जल पर रहता है. लेकिन यह सब भारत के कल्याण के लिए है'.

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ऋषि स्वरानंद ने कहा, '11 दोनों का यह अनुष्ठान शरीर और मन के शुद्धिकरण के लिए तप है. 11 दिनों में वह मनसा वाचा कर्मणा (मन, वचन और कर्म) से शुद्ध हो रहे हैं. इससे मानसिक और शारीरिक शुद्धि होती है'. अयोध्या हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि 11 दिन के अनुष्ठान में पीएम मोदी आदित्य हृदय सूत्र का 2100 बार पाठ करेंगे. व्रत रहेंगे और फलहार करेंगे. हर रोज आदित्य हृदय सूत्र पाठ और हवन के बाद ही अपने काम में लगेंगे. पीएम मोदी अयोध्या में सप्ताह भर चलने वाले अनुष्ठान में शामिल नहीं हो सकते, इसीलिए वह अपने स्तर पर अनुष्ठान कर रहे हैं. 
 

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