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पृथ्वीराज चव्हाण ने दिया CM पद से इस्तीफा, बीजेपी ने की राष्ट्रपति शासन की मांग

मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने राज्य में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से करीब दो हफ्ते पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. एक दिन पहले एनसीपी के साथ गठबंधन टूटने के बाद चव्हाण सरकार अल्पमत में आ गई थी.

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पृथ्वीराज चव्हाण
पृथ्वीराज चव्हाण

महाराष्ट्र की राजनीतिक खलबली के बीच एक बड़ी खबर है. मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने राज्य में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से करीब दो हफ्ते पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. एक दिन पहले एनसीपी के साथ गठबंधन टूटने के बाद चव्हाण सरकार अल्पमत में आ गई थी. सीएम चव्हाण ने आज राज्यपाल से मिलकर इस्तीफा सौंपा.

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एनसीपी के समर्थन वापसी के बाद मुख्ममंत्री चव्हाण ने राज्यपाल सी वी राव को इस्तीफा सौंपा. बीजेपी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है.

खुलकर सामने आई अनबन
महाराष्ट्र की राजनीति में उथलपुथल के बाद पहले दिन यानी शुक्रवार को भी काफी गहमगहमी रही. गठबंधन के अंदर की अनबन खुलकर सामने आ गई और सभी दलों ने अपनी-अपनी नीयत साफ साबित करने की कोशिश की.

शिवसेना बीजेपी को महाराष्ट्र का दुश्मन बता रही है तो बीजेपी शिवसेना पर छोटी पार्टियों को नजरअंदाज करने का आरोप लगा रही है. ऐसी ही कहानी कांग्रेस और एनसीपी के बीच भी चल रही है. शरद पवार ने ट्वीट किया है, 'हमारी पार्टी और कांग्रेस के बीच कई मसले आ गए थे और इसलिए अलग होने का बड़ा कदम उठाना पड़ा.'

कांग्रेस-एनसीपी के अलग होने का असर मौजूदा सियासत पर भी नजर आ रहा है. बीजेपी नेता एकनाथ खडसे ने राज्यपाल से मुलाकात की और महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की.

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चुनाव प्रचार में जुटे दिग्गज
गठबंधन टूटने के साथ ही दिग्गज चुनाव प्रचार में जुट गए हैं. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार ने आज बारामती से नामांकन किया. नामांकन से पहले उन्होंने बारामती में रैली की, जिसमें शरद पवार की सांसद बेटी सुप्रिया सुले ने भी भाग लिया. वहीं महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष देवेंद्र फड़नवीस ने नागपुर के दक्षिण पश्चिम से पर्चा भरा. मुंबई में कांग्रेस नेता कृष्णा खड़गे ने विल पार्ले से नामांकन दाखिल किया.

दो बड़े गठबंधनों के टूटने के बाद नए गठबंधन की तस्वीरों पर अटकलें लग रही हैं. लेकिन एनसीपी ने साफ कर दिया है कि वो सांप्रदायिक शक्तियों के साथ नहीं जाएगी.

कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ दोस्ती की पहल की है. सूत्रों के मुताबिक नए साथी के साथ सीटों के बंटवारे पर भी बात बन चुकी है और समाजवादी पार्टी के लिए कांग्रेस ने 8 सीटें छोड़ने का फैसला किया है.

इस तरह सियासी दलों ने तो महाराष्ट्र की बिसात पर चाल बदल दी है. अब आखिरी दांव जनता को जनता चलना है.

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