महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने एक नया खुलासा किया है. उन्होंने रविवार को कहा कि 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना राज्य में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ गठबंधन में सरकार बनाना चाहती थी. उस दौरान शिवसेना ने कांग्रेस को महाराष्ट्र में सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया था. पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, लेकिन कांग्रेस ने शिवसेना के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.
एक इंटरव्यू में चव्हाण ने यह भी कहा कि 2019 में विधानसभा चुनाव के बाद भी कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी, उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना के साथ गठबंधन के लिए तैयार नहीं थीं, लेकिन लंबे विचार-विमर्श के बाद उन्हें भरोसे में लिया गया. बता दें, नवंबर 2019 में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार बनाई.
यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस ने वैचारिक रूप से शिवसेना के साथ हाथ मिलाया, इसके जवाब में चव्हाण ने कहा, "2014 में भी इसी तरह की स्थिति पैदा हुई थी. तब शिवसेना और एनसीपी ने बीजेपी को रोकने के लिए गठबंधन सरकार बनाने के लिए मुझसे संपर्क किया था. मैंने तुरंत अस्वीकार कर दिया और कहा कि जीतना और हारना राजनीति में सामान्य है. अतीत में भी हम चुनाव हार गए और विपक्ष में बैठे."
लोकतंत्र को नष्ट करने के प्रयास
चव्हाण ने दावा किया, इस बार लोकतंत्र को नष्ट करने के प्रयास किए गए. कांग्रेस और एनसीपी के 40 विधायकों को तोड़ने की कोशिश की गई, लोगों को सरकारी पदों का प्रलोभन देकर ब्लैकमेल किया गया. उन्होंने कहा, बीजेपी को दूसरा टर्म मिलता तो लोकतंत्र पूरी तरह से नष्ट हो जाता. चव्हाण ने कहा, इन परिस्थितियों को देखते हुए हमने अपनी भूमिका बदलने का फैसला किया और एक वैकल्पिक सरकार के बारे में सोचा. बीजेपी और शिवसेना के बीच मतभेद के बाद हमने वैकल्पिक सरकार बनाने के लिए कदम उठाया और इसके बारे में चर्चा शुरू हुई.
तैयार नहीं थीं सोनिया गांधी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चव्हाण ने कहा, शुरू में पार्टी आलाकमान शिवसेना से हाथ मिलाने के पक्ष में नहीं थे. सोनिया जी और केरल के कांग्रेस नेता सहमत नहीं थे, लेकिन मैंने सभी विधायकों और पार्टी के अन्य नेताओं के साथ चर्चा की. चव्हाण ने कहा कि यह स्वीकार किया गया कि बीजेपी हमारा नंबर एक वैचारिक दुश्मन है और सभी ने वैकल्पिक सरकार बनाने पर सहमति व्यक्त की.(एजेंसी)