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महाराष्ट्र: आरे कारशेड के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, आदित्‍य ठाकरे ने कहा- फिर से सोचे सरकार

महाराष्ट्र में आरे कॉलोनी को बचाने के लिए विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं. पर्यावरण प्रेमी और कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं. आदित्‍य ठाकरे ने शिंदे सरकार से इस पर फिर से विचार करने को कहा है.

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महाराष्ट्र की नई सरकार ने मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट को आरे कॉलोनी में शिफ्ट करने का दिया आदेश (फाइल फोटो)
महाराष्ट्र की नई सरकार ने मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट को आरे कॉलोनी में शिफ्ट करने का दिया आदेश (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तेंदुआ और अन्य छोटी प्रजातियां दिखती हैं
  • आरे को लेकर पहले से ही चल रहा विवाद

महाराष्ट्र में आरे कॉलोनी के जंगल को बचाने की मुहीम एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है. पर्यावरण प्रेमी और कार्यकर्ता एक बार फिर विरोध प्रदर्शन तेज करने की तैयारी में हैं. जहां एक तरफ़ शुक्रवार को महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया अध्याय लिखा गया, जब एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली वहीं, मुख्यमंत्री बनते ही शिंदे सरकार ने 2020 में MVA सरकार द्वारा लिए गए मेट्रो शेड के फैसले को बदल दिया जहां 2020 में MVA सरकार  ने मेट्रो कार शेड मुंबई के कांजुरमार्ग में शिफ़्ट कर दिया था. आरे फॉरेस्ट को अक्सर ‘मुंबई का फेफड़ा’ कहा जाता है. 

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हरित क्षेत्र को बचाने के लिए विरोध
महाराष्ट्र के पूर्व पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा कि मुंबई के हरित क्षेत्र आरे में मेट्रो रेल कारशेड के निर्माण का विरोध महानगर की जैव विविधता को बचाने के लिए था. उन्होंने कहा कि शहर के उत्तर-पश्चिम हिस्से में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से सटे जंगली इलाके आरे में तेंदुओं को रोजाना देखा जाता है.

आदि‍त्‍य ठाकरे ने कहा क‍ि कारशेड के काम पर तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे जी ने रोक लगाई थी. वहीं लाइन 3 पर काम को पूरा करने के लिए समर्थन किया गया था. केंद्र सरकार की ओर से मेट्रो लाइनों के लिए डिपो में 3,4,6,14 1 स्थान में फिट होगा, इस प्रकार लागत और समय की बचत होगी.

तेंदुआ और अन्य छोटी प्रजातियां दिखती हैं
ठाकरे ने कहा कि आरे में केवल 2700 से अधिक पेड़ नहीं हैं, बल्कि इसकी जैव विविधता के बारे में भी सोचना चाहिए. ठाकरे ने ट्वीट में कहा कि कारशेड स्थल और उसके आसपास तेंदुओं और अन्य छोटी प्रजातियों को रोजाना देखा जाता है, और पिछली MVA सरकार को 800 एकड़ से अधिक साइट को जंगल घोषित करने पर गर्व है.

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आरे को लेकर पहले से ही चल रहा विवाद
आरे में बन रहे मेट्रो कार शेड को लेकर पहले सी ही विवाद चला आ रहा है. लगातार पर्यावरण कार्यकर्ता और आरे में रह रहे लोग मेट्रो कार शेड आरे से हटाने ने के लिए विरोध कर रहे थे. और जब अब एक बार फिर आरे में ही मेट्रो कार को शिफ़्ट किया जाना है तब एक बार फिर लोगों का ग़ुस्सा सामने आ रहा है. विरोध में लोग मेट्रो कार शेड को हटाने की मांग कर रहे हैं. रविवार को लोगों ने नई सरकार के विरोध में नारे लगाए और पोस्टर और बैनर के जरिए विरोध भी ज़ाहिर किया. 

उद्धव ठाकरे ने भी शिंदे सरकार के कदम का किया विरोध
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी शिंदे सरकार के आरे के कदम का विरोध किया था और कहा था कि वह जंगली जगह पर परियोजना को आगे बढ़ाकर 'शहर के दिल में छुरा घोंपेंगे. 2019 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे की ओर से लिए गए पहले फैसलों में से एक कारशेड साइट को कांजुरमार्ग में ट्रांसफर करना था. हालांकि यह साइट कानूनी विवाद में उलझी हुई है. क्योंकि केंद्र और राज्य दोनों ने स्वामित्व का दावा किया है.

मेट्रो कार शेड को समझिए?
आखिर मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट है क्या है. दरअसल, मुंबई मेट्रो 33.5 किलोमीटर लंबे कोलाबा-बांद्रा सीपज अंडरग्राउंड मेट्रो लाइन के लिए MMRDA एक मेट्रो कार शेड बना रही है. यह मेट्रो शेड पहले आरे कॉलोनी में बन रहा था. शिवसेना 2015 से इस प्रोजेक्ट को आरे कॉलोनी से हटाकर दूसरे स्थान पर ले जाने की मांग कर रहा थी. इस मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर शिवसेना और बीजेपी में लंबे समय से विवाद चल रहा है. 

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