केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए ऑनलाइन गेम पब्जी समेत 118 मोबाइल ऐप पर बैन लगा दिया है. सरकार का कहना है कि ये ऐप राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा थे. वहीं अब पब्जी पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के याचिकाकर्ता ने प्रतिबंध के बाद भी इसकी लत बने रहने को लेकर आशंका जताई है.
पब्जी बैन के बाद एडवोकेट तनवीर निजाम ने राहत भरी सांस ली है. दरअसल, उनके बेटे, तब 11 साल के अहद निजाम ने जनवरी 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें पब्जी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. हालांकि अब खुद सरकार ने इसे बैन करने का फैसला ले लिया है.
वहीं अब एडवोकेट तनवीर निजाम ने फैसले की सराहना करते हुए कहा है कि अहद निजाम के जरिए दाखिल की गई जनहित याचिका अनिवार्य रूप से सभी ऑनलाइन सामग्री की निगरानी के लिए एक ऑनलाइन एथिक्स कमेटी के गठन की मांग करती है. हालांकि निजाम ने आशंकाए भी व्यक्त की है.
उन्होंने कहा है कि यह काफी हद तक संभव है कि विनाशकारी, एडिक्टिव और ऑनलाइन सामग्री या पब्जी जैसे गेम किसी भी अन्य सर्वर पर होस्ट किए जा सकते हैं ताकि भारतीय बाजार तक पहुंच हो सके. इससे हमारे युवाओं के मूल्यवान समय की इस ऑनलाइन लत के कारण बर्बादी होगी.
साइबर हमले को बढ़ावा
निजाम कहते हैं कि ये समय राष्ट्र, योग, स्वच्छता अभियान, परिवार, सेवा और खुद के विकास के लिए दिया जा सकता है. जब तक यह हासिल नहीं होता, हमारी आबादी का हिंसक ऑनलाइन गेमिंग जैसी चीजों के प्रति झुकाव रहेगा. वहीं अहद निजाम, जिन्होंने अपनी मां के माध्यम से याचिका दायर की थी, ने कहा था कि इस खेल पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए क्योंकि यह हिंसा, आक्रमण और साइबर हमले को बढ़ावा देता है.
महाराष्ट्र सरकार का निर्देश
इससे पहले इस साल मार्च में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से यह जानना चाहा था कि क्या पब्जी जैसे ऑनलाइन गेम का बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. वहीं सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने सभी स्कूलों को छात्रों को इस तरह के खेल खेलने से प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया था. हालांकि सरकार भी इस बात पर सहमत थी कि यह नियंत्रण सीमित अवधि के लिए ही बढ़ सकता है, जब बच्चे स्कूल में थे.