महाराष्ट्र के पुणे में स्थित डीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में गर्भवती महिला की इलाज में देरी को लेकर हुई मौत के मामले में पुलिस ने गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. सुश्रुत घैसास के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज किया. अलंकार पुलिस स्टेशन में धारा 106(1) के तहत मामला दर्ज किया गया. बीजेपी एमएलसी अमित गोरखे ने कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
क्या है पूरा मामला?
डीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में पीड़िता तनीषा भिसे को प्रेग्नेंसी के दौरान गंभीर हालात में भर्ती कराया गया. रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान उन्हें भर्ती करने के लिए अस्पताल ने 10 लाख रुपये जमा करने को कहा. जो कि तनीषा के परिवार तुरंत नहीं दे सके. जिसके बाद इलाज में करीब पांच घंटे तक देरी हुई और फिर तनिषा को नाजुक हालत में दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया गया.
तनीषा ने दूसरे अस्पताल में जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया. हालांकि, ज्यादा खून बह जाने की वजह से मौत हो गई.
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जांच समिति ने क्या रिपोर्ट दी?
तनिशा बिसे प्रकरण में राज्य सरकार द्वारा गठित समिति ने जांच की है. समिति की रिपोर्ट के अनुसार, डॉ. सुश्रुत घैसास ने तनीषा भिसे को जोखिम भरी प्रेग्नेंसी के बावजूद उपचार दिया. 28 मार्च को डॉ. घैसास ने भिसे को फोन कर बाह्य रुग्ण विभाग में बुलाया और फिर भर्ती किया. समिति ने डॉ. घैसास पर कैश डिपॉजिट मांगने का भी आरोप लगाया.
ससून अस्पताल की प्रारंभिक जांच और दो संबंधित रिपोर्टों ने डॉ. घैसास को लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराया. जांच में पाया गया कि डॉ. घैसास को तनिशा का मेडिकल इतिहास पता होने के बावजूद आपातकालीन इलाज देने में विफल रहे.
डॉक्टर के खिलाफ आक्रोशित हुए लोग
बीजेपी एमएलसी अमित गोरखे ने इस मामले में प्रदेश की फडणवीस सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की, जिसमें डॉ. घैसास का चिकित्सा लाइसेंस रद्द करने की मांग भी शामिल है. इस घटना को लेकर लोगों के बीच भी आक्रोश है. लोगों ने डॉक्टर के विरुद्ध जमकर विरोध किया.