महाराष्ट्र में पुणे के हिंजेवड़ी में एक टेम्पो ट्रैवलर वाहन में आग लगने से ग्राफिक्स कंपनी के चार कर्मचारियों की मौत हो गई थी. इस घटना ने चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. पुलिस जांच में पता चला है कि वाहन चालक ने कर्मचारियों से विवाद और वेतन न बढ़ने से नाराज होकर यह कृत्य किया. ड्राइवर ने जुर्म कबूल कर लिया है.
जानकारी के मुताबिक, आरोपी ड्राइवर का नाम जनार्दन हंबार्डिकर है, वो पुणे के कोथरूड में रह रहा था. पुलिस उपायुक्त विशाल गायकवाड़ ने बताया कि आरोपी हिंजवडी स्थित ग्राफिक कंपनी के टेम्पो ट्रैवलर का ड्राइवर है. बुधवार की सुबह 8 बजे हिंजवडी स्थित विप्रो सर्किल फेज वन इलाके में एक टेंपो ट्रैवलर में आग लग गई.
आग लगने से चार कर्मचारियों की वाहन के अंदर ही जलकर मौत हो गई. वहीं छह श्रमिक झुलस गए. चार कर्मचारियों ने कूदकर अपनी जान बचाई थी. इस घटना में पुलिस ने अनुमान लगाया था कि आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी होगी. इस बीच, जांच में पता चला कि ड्राइवर जनार्दन हंबार्डिकर ने कंपनी से पुरानी रंजिश और नाराजगी के चलते इस घटना को अंजाम दिया.
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आरोपी जनार्दन हंबार्डिकर का स्टाफ के साथ विवाद हो गया था. इसके अलावा कंपनी ने दिवाली पर उसके वेतन में भी कटौती की थी. आरोपी हंबार्डिकर इसी बात से नाराज था. उसने मंगलवार को अपनी कंपनी से एक लीटर बेंज़िम सॉल्यूशन नामक केमिकल लाकर गाड़ी में रख लिया. इसके अलावा सीट के नीचे कपड़े भी बिछाए थे. अगले दिन बुधवार की सुबह जब कर्मचारियों को लाने गया तो वारजे में एक माचिस खरीदी. कर्मचारियों को ले जाते समय आरोपी ने फेज वन इलाके में पहुंचते ही उसने कपड़े के टुकड़ों में आग लगा दी. केमिकल की वजह से आग तेजी से फैली. ड्राइवर तुरंत बाहर कूद गया.
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आरोपी ड्राइवर हंबार्डिकर मामूली रूप से घायल होने के बावजूद वह पुलिस को देख बार-बार बेहोश होने का नाटक करता रहा. यह मामला वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक कन्हैया थोरात ने देखा तो संदेह हुआ. इसके बाद पुलिस ने उससे पूछताछ शुरू की. वह फिर भी अस्पष्ट जवाब दे रहा था. इस बीच, घटनास्थल के पास स्थित एक कंपनी के सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि ड्राइवर सीट के नीचे कुछ जला रहा था. इसके बाद पुलिस ने गहन पूछताछ की तो आरोपी ने जुर्म कबूल कर लिया.
आरोपी ड्राइवर हंबार्डिकर के साथ कंपनी के अन्य कर्मचारियों ने अपमानजनक व्यवहार किया था. दो दिन पहले उसने डिब्बे से रोटी भी नहीं खाई थी. इसके अलावा दिवाली के दौरान वेतन भी काट लिया गया. आरोपी ने स्वीकार किया है कि उसने यह कृत्य इसलिए किया, क्योंकि उसके मन में बहुत गुस्सा और आक्रोश था.
आरोपी ड्राइवर गाड़ी में बैठे तीन लोगों से नाराज था. उसने उन्हें सबक सिखाने के लिए घटना को अंजाम दिया. वह कंपनी के पास या कंपनी परिसर में खड़ी गाड़ी में आग लगाना चाहता था. एक ऐसी जगह देखकर, जहां वह गाड़ी रोक सकता था और उसमें आग लगा सकता था, वहीं उसने आग लगाई. पुलिस का कहना है कि गनीमत रही कि घटना में तीन कर्मचारी बच गए. इस घटना में चार लोग मारे गए, जिनका इस सब से कोई लेना-देना नहीं था.
आग से जलकर मरने वाले कर्मचारियों में शंकर कोंडिबा शिंदे, गुरुदास खांडू लोखरे, सुभाष सुरेश भोसले, और राजन सिद्धार्थ चव्हाण शामिल हैं. इस घटना में जनार्दन हंबार्डिकर, विश्वास खानविलकर, चंद्रकांत मालजी, प्रवीण निकम, संदीप शिंदे और विश्वास जोरी झुलस गए. उन्हें इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. वहीं विश्वास कृष्णराव गोडसे, मंजरी अडकर, विट्ठल दिघे, प्रदीप राउत गाड़ी से सुरक्षित बाहर निकल आए थे.