जेएनयू हिंसा के विरोध में पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया से सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी तक मंगलवार शाम को विरोध मार्च निकाला गया. इस दौरान प्रदर्शन के दौरान कई छात्रों के हाथ में 'आतंकियों से लड़ो' वाले पोस्टर नजर आए. इस दैरान पुणे में जेएनयू छात्रों के समर्थन में आयुका ( Inter-University Center for Astronomy & Astrophysics) के पूर्व डायरेक्टर नरेश दाधीच दिखाई दिए. साथ ही में वरिष्ठ समाज सेवक सुनीति सुर भी आईं.
जेएनयू हिंसा के विरोध में विरोध मार्च
जानकारी के अनुसार मंगलवार की शाम पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया से सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी तक जेएनयू हिंसा के विरोध में विरोध मार्च निकाला गया.
देश के अग्रणी कहे जाने वाले फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) के सैकड़ों छात्र मुख्य गेट के सामने केंद्र सरकार और CAA कानून के खिलाफ नारेबाजी करते नजर आए.
केंद्र शासन के खिलाफ लगे नारे
इस विरोध मार्च में पुणे के अन्य शिक्षा संस्थानों के छात्र भी जुड़े. शहर के कुछ नागरिक भी मोर्चे में शामिल हुए. कुछ कश्मीरी और कुछ अन्य राज्य के छात्र भी मोर्चे में शरीक हुए. मार्च के दौरान केंद्र शासन के खिलाफ कई नारे सुनाई दिए- 'जैसे- मनुवाद से आजादी, जातिवाद से आजादी, मोदीवाद से आजादी, जय-जय-जय भीम, जब भी जुल्मी जुल्म करेगा सत्ता के हथियारों से, चप्पा-चप्पा गूंज उठेगा इंकलाब के नारों से.'
इस मार्च में तकरीबन 600 से 800 लोग मौजूद थे. यह मार्च फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया से सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी तक पहुंचा. इस दौरान छात्रों के हाथ में कई पोस्टर दिखे. एक पोस्टर पर लिखा था- चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को बिना शर्त तुरंत रिहा किया जाए.
वहीं, कुछ पोस्टरों पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधा गया था. साथ ही लिखा था, 'नहीं चलेगी-नहीं चलेगी, तानाशाही नहीं चलेगी.' एक पोस्टर पर तो आतंकियों से लड़ो लिखा हुआ था.
आयुका के पूर्व डायरेक्टर ने लगाया आरोप
आयुका के पूर्व डायरेक्टर नरेश दाधीच का कहना है कि जेएनयू और जामिया विश्वविधालय में जो हुआ वो सरासर गलत है, एक जगह पुलिस ने हिंसा की तो दूसरी जगह गुंडों ने हिंसा की है और इसमें पुलिस की शह थी. पुलिस बिना बताए कुछ नहीं करती. नरेश दाधीच ने आरोप लगाया कि पुलिस को जो कहा जाता है, पुलिस वही करती है और ये जो कुछ भी जेएनयू छात्रों के साथ हुआ है उससे भाजपा शासन की नीयत का पता चलता है.
उन्होंने आगे कहा, 'जहां पर भी देश के विश्वविद्यालय में छात्रों के साथ हिंसा हो रही है, उसके साथ खड़े रहने के लिए सब लोग एक साथ आए हैं.' समाज सेवक सुनीति के मुताबिक, '2019 लोकसभा चुनाव के बाद मौजूदा केंद्र सरकार जो भी नीतियां ला रही है वो लोकतंत्र के खिलाफ हैं. चाहे वो 370 की बात हो, चाहे राम मंदिर का मसला खत्म करना हो या फिर CAA-NRC लाने की बात हो या फिर गरीबों की शिक्षा के लिए चलने वाले आंदोलन को तोड़ने के लिए जेएनयू छात्रों के साथ हिंसाचार हो, सब तानाशाही दर्शाता है.'
कश्मीर में लम्बे समय से इंटरनेट बंद
फईम नाम के एक कश्मीरी युवक के मुताबिक कश्मीर में इतने लम्बे समय से इंटरनेट बंद नहीं होना चाहिए. अगर अब सब शांत है, ऐसा दिखाई दे रहा है, कहीं भी विरोध प्रदर्शन भी नहीं है तो कश्मीर में फिर इंटरनेट शुरू कर देना चाहिए. वहीं एलीना नाम की लड़की जो पुणे में पली-बढ़ी है. उसके मुताबिक, गैरकानूनी तरीके से हिन्दुस्तान में रहने वाले मुसलमान ना के बराबर हैं तो फिर कुछ लोगों के लिए सारे देश के लोगों को NRC से गुजरने को कहना गलत है.