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भीमा कोरेगांव हिंसा: पुणे पुलिस ने 5 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की

एक जनवरी को पुणे के नजदीक भीमा-कोरेगांव युद्ध के 200 साल पूरा होने के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दो समूहों के बीच संघर्ष में एक युवक की मौत हो गई थी और चार लोग घायल हुए थे. इस हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो जाने के बाद इसकी आंच महाराष्ट्र के 18 जिलों तक फैल गई थी.

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भीमा कोरेगांव मामले में पुलिस मे 5000 पन्नों की चार्जशीट दायर की है (फाइल फोटो: पीटीआई)
भीमा कोरेगांव मामले में पुलिस मे 5000 पन्नों की चार्जशीट दायर की है (फाइल फोटो: पीटीआई)

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भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गुरुवार को पुणे पुलिस ने पांच आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है. आरोपी वकील सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, सुधीर धावले और रोना विल्सन के खिलाफ पुणे पुलिस ने आईपीसी और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत 5000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है.

पुणे पुलिस की चार्जशीट में एल्गार परिषद की भीमा कोरेगांव में 31 दिसंबर 2017 की उस रैली का जिक्र किया गया है जिसमें आयोजनकर्ताओं और हिस्सा लेने वालों की तरफ से कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए गए थे. इस चार्जशीट में कुल 80 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं. चार्जशीट में बताया गया है कि आरोपी सीधे तौर पर प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के प्रोपेगैंडा के प्रचार में शामिल थे और लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई करकार को उखाड़ने की गतिविधियों में शामिल थे.

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पुलिस के मुताबिक आरोपियों के लैपटॉप से कई चिट्ठियां और दस्तावेज मिले हैं जिससे प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) से जुड़े संगठन ब्रह्मणों और दलितों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने के सबूत मिले हैं. साथ ही इन दस्तावेजों में आरएसएस-बीजेपी नीत 'ब्राह्मणवादी सरकार' को गिराने का भी जिक्र है. इस चार्जशीट में आरोपी रोना विल्सन के लैपटॉप से मिले एक दस्तावेज का भी जिक्र किया गया है जिसमें प्रधानमंत्री की हत्या के लिए फंड इकट्ठा करने और सुरक्षाबलों पर हमले की योजना का भी खुलासा हुआ है.

आरोपियों से बरामद दस्तावेज से यह भी खुलासा हुआ है कि आरोपी और उनके साथी राष्ट्र के खिलाफ युद्ध छेड़ना चाहते थे और विभिन्न समुदायों के बीच नफरत फैलाकर देश में कानून व्यवस्था खराब करने की कोशिश में थे. इसके साथ ही शांती भंग करने के उद्देश्य से हथियार खरीदने के लिए फंड जुटाने के प्लान का भी खुलासा हुआ है.

यह भी पढ़ें: भीमा कोरेगांव हिंसा: सुधा भारद्वाज समेत तीन आरोपियों को कोर्ट से झटका, जमानत याचिका खारिज

पुणे पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक आरोपी महेश राउत ने टाटा इस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) के दो छात्रों को माओवादी संगठन से जुड़ने और ट्रेनिंग के लिए जंगल में भेजा था. चार्जशीट के मुताबिक इन सबूतों से यह साबित होता है कि सीपीआई (माओवादी) संगठन 2-3 जनवरी को भीमा कोरेगांव में हिंसा और उसके बाद 2 और 3 जनवरी को राज्य में हुए दंगों में शामिल थी.

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गौतलब है कि पुणे पुलिस ने 6 जून को रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत और सुधी दावले को हिंसा से जुड़े मामलों में गिरफ्तार किया था. जिसके बात 28 अगस्त को विभिन्न राज्यों में छापेमारी के बाद पांच वामपंथी विचारकों- सुधा भारद्वाज, वरवर राव, वेरनॉन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा और गौतम नवलखा को सीपीआई (माओवादी) से कथित तौर पर संबंध होने के आरोप में गिरफ्तार किया था. 

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