बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुणे पोर्शे कांड में नाबालिग आरोपी जमानत दे दी है. अदालत ने उन्हें जमानत देते हुए कहा कि नाबालिग की हिरासत में रखना गैरकानूनी है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुणे पोर्श कांड के नाबालिग आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें मंगलवार को जमानत दे दी. जस्टिस भारती डांगरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की बेंच नाबालिग को राहत देते हुए कहा कि हादसा दुर्भाग्यपूर्ण था, लेकिन नाबालिग को ऑब्जर्वेशन होम में नहीं रखा जा सकता. क्योंकि नाबालिग के माता-पिता और दादा भी जेल में बंद है, इसलिए नाबालिग की कस्टडी उनकी मौसी के पास रहेगी.
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने 25 जून को नाबालिग को जमानत देते हुए किशोर न्याय बोर्ड को निर्देश देते हुए कहा कि कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चे को पर्यवेक्षण गृह की गैरकानून हिरासत से रिहा किया जाए.
नाबालिग आरोपी की जमानत के लिए उनकी मौसी ने बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष हैबियस कॉर्पस की एक रिट दायर की थी. हैबियस कॉर्पस की रिट जुवेनाइल जस्टिस एक्ट पर निर्भर करती है. विशेष रूप से जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 12 (1) के प्रावधानों पर भी निर्भर करती है. जो 22 मई 2024, 5 जून 2024 और 12 जून 2024 के जुवेनाइल बोर्ड को आदेश देता है कि बच्चे को ऑब्जर्वेशन होम रखना गैरकानूनी है.
कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चे का यह काम है कि वह कानून की उचित प्रक्रिया और हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करें जैसा कि आदेश में कहा गया है.
क्या है मामला
बता दें कि 19 मई को कथित तौर पर नाबालिग आरोपी नशे की हालत में था और काफी स्पीड से पोर्श कार चला रहा था. इस दौरान कार से टकराकर दो सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौत हो गई थी. नाबालिग आरोपी को उसी दिन किशोर न्याय बोर्ड ने जमानत दे दी थी और उसे अपने माता-पिता और दादा की देखरेख में रखने का आदेश दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने ये शर्त भी रखी थी कि नाबालिग आऱोपी को सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखना होगा. हालांकि पुलिस ने बाद में बोर्ड के समक्ष एक आवेदन दायर किया, जिसमें जमानत के आदेश में संशोधन की मांग की गई थी. 22 मई को बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को हिरासत में लेने और उसे बाल सुधार गृह में भेजने का आदेश दिया था.