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पुणे हिंसा: मायावती बोलीं- जातीय हिंसा के पीछे बीजेपी और आरएसएस का हाथ

सरकार ने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं इसके बावजूद भी पूरे राज्य में हालात नहीं सुधर रहे हैं. पुणे हिंसा की आग धीरे-धीरे मुंबई की ओर भी बढ़ रही है. पढ़ें पुणे हिंसा पर अभी तक के बड़े अपडेट्स...

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मुंबई तक पहुंची पुणे हिंसा की चिंगारी
मुंबई तक पहुंची पुणे हिंसा की चिंगारी

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पुणे के भीमा-कोरेगांव लड़ाई की सालगिरह पर हुई हिंसा से पूरे महाराष्ट्र में तनाव का माहौल है. हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई थी. सरकार ने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं इसके बावजूद भी पूरे राज्य में हालात नहीं सुधर रहे हैं. पुणे हिंसा की आग  मुंबई की ओर भी बढ़ गई है. वहीं पुलिस की शुरुआती जांच में दलित संगठनों का हिंसा में हाथ नहीं होने की बात सामने आई है.

मंगलवार देर शाम पुणे के दो युवा अक्षय बिक्कड और आनंद डॉन्ड ने पुणे के डेक्कन पुलिस स्टेशन में विधायक जिग्नेश मेवानी और जेएनयू के छात्र उमर खालिद के खिलाफ लिखित में शिकायत देकर FIR दर्ज करने की मांग की है. शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि जिग्नेश मेवानी और उमर खालिद ने कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ भाषण दिया था. रात साढ़े 8 बजे के बाद खुला ईस्टर्न हाईवे, जाम में फंसे लोगों को मिली राहत

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बीएसपी नेता मायावती ने भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा पर बयान दिया कि यह जो घटना घटी है, रोकी जा सकती थी. सरकार को वहां सुरक्षा की उचित व्यवस्था करनी चाहिए थी. वहां बीजेपी की सरकार है और उन्होंने वहां हिंसा करवाई. लगता है इसके पीछे बीजेपी, आरएसएस और जातिवादी ताकतों का हाथ है. डीसीपी गणेश शिंदे ने बताया कि भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा के मामले में पुणे के पिंपरी पुलिस स्टेशन में 2 लोगो के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.

देर शाम तक हजार से ज्यादा विरोध कर रहे लोगों ने ईस्टर्न हाइवे पर रामाबाई नगर जंक्शन के पास जाम लगाया था. हिंसा की वारदात को रोकने के लिए पुलिस बल तैनात किए गए थे. वहीं राहुल गांधी ने ट्वीट किया और कहा कि आरएसएस और बीजेपी दलितों को समाज में सबसे नीचे पायदान पर रखना चाहती है. ऊना, रोहित वेमुला और भीमा कोडेगांव की हिंसा दलितों के प्रतिरोध के प्रबल उदाहरण हैं.

हिंसा के बाद बहुजन महासंघ के नेता और डॉ बीआर अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने बुधवार को महाराष्ट्र बंद का आह्रवान किया.  इससे पहले हिंसा पर प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि इस हिंसा के पीछे हिंदू संस्था के मिलिंद एकबोते ओर सांभाजी भिंडे का हाथ है. हम स्पॉट पर थे और हमें पता है कि इसके पीछे किसका हाथ है. हमने सरकार को नाम दे दिया है, अब उनका काम है कि कार्रवाई करें. प्रकाश अंबेडकर ने आगे कहा कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो हम आंदोलन करेंगे. हमने ऊना की वारदात सही, कब तक ऐसे और सहते रहेंगे? अगर हमने भीड़ को कंट्रोल नहीं किया होता तो कम से कम 500 हिंदू संस्था के लोगों की लाश होती. अगर बंद का आह्रवान नहीं किया होता आग और भड़कती. प्रकाश अंबेडकर ने दावा किया कि बुधवार का बंद शांतिपूर्ण होगा.

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वहीं शाम तक मुंबई के घाटकोपर के माता रामाबाई अंबेडकर नगर में स्थ‍िति तनावपूर्ण रही. रामाबाई नगर से सियोन तक ट्रैफिक रोकी गई. कामराज नगर और रामाबाई नगर के पास सैंकड़ों की संख्या प्रदर्शनकारी जमा हुए थे. मुंबई के विभिन्न इलाकों से हिंसा फैलाने के आरोप में पुलिस ने 100 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया.

रिपब्ल‍िकन पार्टी ऑफ इंडिया बुधवार को मुंबई के हर पुलिस स्टेशन पर धरना देगी . राज्य परिवहन की बसों को भी नुकसान पहुंचा. हिंसा में MSRTC की 134 बसें छतिग्रस्त हुईं

बुधवार को बंद के आह्रवान पर मुंबई पुलिस के पीआरओ सचिन पाटिल ने कहा, ''महत्वपूर्ण जगहों पर अतिरिक्त पुलिस बल की हुई तैनाती, किसी भी स्थि‍ति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है मुंबई पुलिस.'' वहीं रिपब्ल‍िकन पार्टी ऑफ इंडिया के कार्यकर्ताओं ने ठाणे में विरोध प्रदर्शन किया.

वहीं मुंबई लोकल की हार्बर लाइन CSMT-कुर्ला और मानखुर्द के बीच कुछ घंटों तक  सिर्फ स्पेशल ट्रेन सर्विस चल रही थी. कई घंटों के बाद सेंट्रल रेलवे लाइन में मुंबई लोकल ट्रेन की सेवा सामान्य हुई. आरोपियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर ईस्टर्न हाईवे पर कुछ संगठनों ने प्रदर्शन किया. जिस वजह से हाईवे पर जाम लग गया.

पुणे हिंसा के बाद मुंबई में कई जगह स्कूल और कॉलेज बंद कराए गए हैं. हिंसा के बाद अलग-अलग जगह जाम और प्रोटेस्ट से बचने के लिए ऑफिस भी जल्द बंद हो गए. घाटकोपर में आरपीआई कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन के कारण कई जगह दुकानें बंद हो गई थी.

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हिंसा के बाद लगातार सोशल मीडिया पर अलग-अलग तरह के पोस्ट आ रहे हैं, मुंबई पुलिस ने इन पोस्ट से बचने की चेतावनी जारी की . मुंबई पुलिस ने ट्वीट कर कहा थाकि किसी भी तरह की अफवाह का शिकार नहीं है, जिन इलाकों में जाम लगा था वहां अभी सब कुछ सही हैं. मुंबई के चेंबूर, मुलुंद घाटकोपर, कुर्ला आदि इलाकों में प्रदर्शन के बाद स्टेट रिजर्व पुलिस की चार कंपनियों की तैनाती की गई थी. इसके अलावा भी 400 से अधिक पुलिस कर्मियों को सुरक्षा में लगाया गया  था.

वहीं मंगलवार को हिंसा पर महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि, "भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर करीब तीन लाख लोग आए थे. हमने पुलिस की 6 कंपनियां तैनात की थी. कुछ लोगों ने माहौल बिगाड़ने के लिए हिंसा फैलाई. इस तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हमने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. मृतक के परिवार वालों को 10 लाख के मुआवजा दिया जाएगा."     

हिंसा के लिए NCP सुप्रीमो शरद पवार ने दक्षिणपंथी संगठनों की जिम्मेदार बताया है और आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. पवार ने कहा कि भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह मनाई जा रही थी. हर साल यह दिन बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता रहा है. लेकिन इस बार कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने यहां की फिजा को बिगाड़ दिया.

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हिंसा के बाद पुणे में कई जगह बसों में आग लगाई गई, जिसके बाद बस सेवा को रोक दिया गया है. घाटकोपर के कुछ इलाकों में पत्थरबाजी की भी खबर थी. जिसके बाद औरंगाबाद, अहमदनगर बस सर्विस को रोका गया.

क्या था कार्यक्रम? 

बता दें कि भीमा कोरेगांव की लड़ाई 1 जनवरी 1818 को पुणे स्थित कोरेगांव में भीमा नदी के पास उत्तर-पू्र्व में हुई थी. यह लड़ाई महार और पेशवा सैनिकों के बीच लड़ी गई थी. अंग्रेजों की तरफ 500 लड़ाके, जिनमें 450 महार सैनिक थे और पेशवा बाजीराव द्वितीय के 28,000 पेशवा सैनिक थे, मात्र 500 महार सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली 28 हजार मराठा फौज को हरा दिया था.

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